Friday, 1 August 2025

एक ताज़ा ग़ज़ल -सब घराने आपकी मर्ज़ी से ही गाने लगे

 

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल 

साज साजिन्दे सभी महफ़िल में घबराने लगे 

सब घराने आपकी मर्ज़ी से ही गाने लगे 


भूल जाएगा ज़माना दादरा, ठुमरी, ग़ज़ल 

अब नई पीठी को शापिंग माल ही भाने लगे 


जिंदगी भी दौड़ती ट्रेनों सी ही मशरूफ़ है 

आप मुद्द्त बाद आए और अभी जाने लगे 


झील में पानी, हवा में ताज़गी मौसम भी ठीक 

फूल में खुशबू नहीं भौँरे ये बतियाने लगे


प्यार से लोटे में जल चावल के दाने रख दिए

फिर कबूतर छत में मेरे हाथ से खाने लगे


हम भी बचपन में शरारत कर के घर में छिप गए

अब बड़े होकर ज़माने भर को समझाने लगे


बीच जंगल से गुजरते अजनबी को देखकर

आदतन ये रास्ते फिर फूल महकाने लगे


देखकर प्रतिकूल मौसम उड़ गए संगम से जो

ये प्रवासी खुशनुमा मौसम में फिर आने लगे

कवि जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र साभार गूगल


14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 03 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार. अभिवादन

      Delete
  2. हम भी बचपन में शरारत कर के घर में छिप गए

    अब बड़े होकर ज़माने भर को समझाने लगे
    वाह!!!
    क्या बात...
    लाजवाब गजल👌👌🙏🙏
    ,,

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

      Delete
  3. Replies
    1. आपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन

      Delete
  4. Replies
    1. हार्दिक आभार भाई. सादर अभिवादन

      Delete
  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 6 अगस्त 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन

      Delete
  6. वाह!! बेहतरीन !

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन

      Delete
  7. बहुत खूबसूरत गज़ल हुई ...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

प्रयागराज आयकर भवन में हिन्दी पखवाड़ा कवि गोष्ठी

   दिनांक 28-10-2025 को आयकर भवन प्रयागराज में हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ एवं विभागीय कर्मचारियों का सम्मान. कार्यक्रम...