Monday, 28 April 2025

एक ग़ज़ल - लोटे के जल में फूल रखते हैं

 

चित्र साभार गूगल

ग़ज़ल -लोटे के जल में फूल रखते हैं


अतिथियों के लिए लोटे के जल में फूल रखते हैं 
मगर दुश्मन के सीने पर सदा तिरशूल रखते हैं 

जहाजें पाल वाली हों तो सागर से न टकराना
हवा को मोड़ते हैं हम नहीं मस्तूल रखते हैं


अमन की राह में उजले कबूतर भी उड़ाते हैं 
मगर रंजिश में उत्तर भी बहुत माकूल रखते हैं 

हमारी झील में शतदल के सारे रंग मिलते हैं
 काँटीली झाड़ियों के पेड़ हम निर्मूल रखते हैं 

हम तीरथ पर निकलने वालों को पानी पिलाते हैं
न हम जजिया लगाते हैं नहीं महसूल रखते हैं

जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल


Saturday, 26 April 2025

एक देशगान -हम उनके गीत सुनाते हैं

 

जय महाकाल

एक देशगान -भारत माता की मिट्टी को 


भारत माता की 

मिट्टी को 

जो अपने माथ लगाते हैं.

हम उनके 

गीत सुनाते हैं 

हम उन पर पुष्प चढ़ाते हैं.


इस देश में 

गंगा बहती है 

चिड़ियों के झुण्ड चहकते हैं,

वैदिक मंत्रो से 

यज्ञ कुंड, 

पूजा के फूल महकते हैं,

दुनिया के 

मंगल के खातिर 

देवालय शंख बजाते हैं.


गीता 

जीवन का दर्शन है 

मानस संताप मिटाता है,

संकट पड़ने पर 

भारत ही 

दुनिया को मार्ग दिखाता है,

ईश्वर बनकर 

प्रभु राम यहाँ 

रावण का दर्प मिटाते हैं.


भारत माता 

के कुछ कुपुत्र 

दुश्मन से यारी करते हैं,

इसकी छाया में 

पलकर भी 

इससे गद्दारी करते हैं,

असुरों के 

कुत्सित कार्यों पर 

ये अक्सर जश्न मनाते हैं.


भारत माता का 

स्वर्ण मुकुट 

सदियों तक चमक बिखेरेगा,

उसका 

अस्तित्व नहीं होगा 

जो इसको आँख तरेरेगा,

हम महाकाल 

के तांडव हैं 

हम सामवेद भी गाते हैं.


कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


Wednesday, 23 April 2025

एक देशगान -सत्य अहिंसा के सीने पर वार सहेंगे आख़िर कब तक

 

एक देशगान -बाज़ उड़ाओ

भारत माता


पाकिस्तान का आतंकी खेल अब हमेशा के लिए खत्म किया जाना चाहिए. मजहब के नाम पर आतंकी हमला किया जा रहा है यह अघोषित युद्ध है. हमको अब इजरायल की तर्ज़ पर निर्णायक वार करना होगा. अन्यथा यह अंतहीन गाथा बन जाएगी. अमेरिकी उप राष्ट्रपति भारत दौरे पर हैं इसके बावजूद भारत में आतंकी हमला. शर्मनाक. भारत सरकार अब सेनाओं को खुली छूट दे और इस आतंक की जड़ को खत्म करे.वन्देमातरम. जयहिंद


एक भिखारी मुल्क 

चुनौती 

देता हिंदुस्तान को.

दुनिया के 

नक्शे से गायब

कर दो पाकिस्तान को,


बाज़ उड़ाओ 

श्वेत कबूतर 

कब तक यहाँ उड़ाओगे,

कब तक सत्य-

अहिंसा वाला 

झूठा गीत सुनाओगे,

अब  ब्रम्हास्त्र 

चलाकर मारो

सदियों के शैतान को.


बार -बार आतंकी 

घेरो -मारो 

यही कहानी है,

फिर धरती 

कुरुक्षेत्र बना दो 

इसमें क्या हैरानी है,

सूर्य निगल 

जाये जो पल में 

याद करो हनुमान को.


सत्य अहिंसा

के सीने पर

वार सहेंगे आख़िर कब तक,

सैन्य शक्ति

के रहते भी

लाचार रहेंगे आख़िर कब तक

ख़त्म करो

जो आँख उठाकर

देखे हिंदुस्तान को.


आँख दिखाते 

बांग्लादेशी 

कैसी नीति हमारी है,

घात लगाए 

दुश्मन बैठे 

घर में भी गद्दारी है,

कब्जे में लो 

सिंध कराची 

और बलूचिस्तान को.

तिरंगा


Sunday, 13 April 2025

एक ताज़ा गीत -लहरें गिनना भूल गए

 

चित्र साभार गूगल

चित्र साभार गूगल

एक ताज़ा गीत -लहरें गिनना भूल गए


झीलों में पत्थर 
उछालकर 
लहरें गिनना भूल गए.
अपने मन की 
आवाज़ों को
कैसे सुनना भूल गए.

भूल गए 
गलियाँ, चौबारे 
चिलम फूँकते गाँव, ओसारे,
खुली खाट पर 
नील गगन में 
गिनते उल्का पिंड,सितारे,
माँ की पूजा
की डलिया में
गुड़हल चुनना भूल गए.

सारे मौसम
खिले-खिले थे
बाग-बगीचे वृंदावन थे,
हिरनों, हंसों
हारिल के संग
चिड़ियों के कलरव के वन थे,
पर्वत के उस पार
नदी से 
जाकर मिलना भूल गए.

सुबहें निर्गुण
भजन सुनाती
दिन थे खेती हल,बैलों के,
रिश्तों में थी
महक इत्र सी
घर थे मिट्टी, खपरैलों के,
सनई, पटसन
के रेशों से
रस्सी बुनना भूल गए.

कवि
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल





एक ग़ज़ल - लोटे के जल में फूल रखते हैं

  चित्र साभार गूगल ग़ज़ल -लोटे के जल में फूल रखते हैं अतिथियों के लिए लोटे के जल में फूल रखते हैं  मगर दुश्मन के सीने पर सदा तिरशूल रखते हैं  ...