Saturday, 26 April 2025

एक देशगान -हम उनके गीत सुनाते हैं

 

जय महाकाल

एक देशगान -भारत माता की मिट्टी को 


भारत माता की 

मिट्टी को 

जो अपने माथ लगाते हैं.

हम उनके 

गीत सुनाते हैं 

हम उन पर पुष्प चढ़ाते हैं.


इस देश में 

गंगा बहती है 

चिड़ियों के झुण्ड चहकते हैं,

वैदिक मंत्रो से 

यज्ञ कुंड, 

पूजा के फूल महकते हैं,

दुनिया के 

मंगल के खातिर 

देवालय शंख बजाते हैं.


गीता 

जीवन का दर्शन है 

मानस संताप मिटाता है,

संकट पड़ने पर 

भारत ही 

दुनिया को मार्ग दिखाता है,

ईश्वर बनकर 

प्रभु राम यहाँ 

रावण का दर्प मिटाते हैं.


भारत माता 

के कुछ कुपुत्र 

दुश्मन से यारी करते हैं,

इसकी छाया में 

पलकर भी 

इससे गद्दारी करते हैं,

असुरों के 

कुत्सित कार्यों पर 

ये अक्सर जश्न मनाते हैं.


भारत माता का 

स्वर्ण मुकुट 

सदियों तक चमक बिखेरेगा,

उसका 

अस्तित्व नहीं होगा 

जो इसको आँख तरेरेगा,

हम महाकाल 

के तांडव हैं 

हम सामवेद भी गाते हैं.


कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 28 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन

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  2. जय हिन्द जय भारत

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    1. सादर अभिवादन. आपका हृदय से आभार. वन्देमातरम

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  3. वाह! बहुत खूबसूरत.....जय भारत!

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    1. हार्दिक आभार. सादर अभिवादन

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