Wednesday, 12 February 2025

एक प्रेमगीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ

 

चित्र साभार गूगल 

आप सभी का दिन शुभ हो 

एक प्रेम गीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ 


आसपास है कोई 

जिसको ख़बर नहीं 

उसकी यादों में 

मैं गीत सुनाता हूँ.


हँसी होंठ पर और 

आँख में पानी है,

मौसम भी ये गीतों 

भरी कहानी है,

तितली, फूल, पतंगे, 

बारिश में जुगनू 

मैं अपनी कविता में 

यही सजाता हूँ.


मुझे देख रुपसियों ने 

श्रृंगार किया,

मैं दरपन था मुझसे 

किसने प्यार किया,

मिटी नहीं तसवीर 

सुनहरी यादों की 

मैं अलिखित पत्रों में 

फूल सजाता हूँ.


यात्राओं में मिला 

मगर संवाद नहीं,

इंद्रधनुष को 

बंज़रपन की याद नहीं,

नये नये चंदन वन 

की ये खुशबू है 

मैं खुशबू के साथ 

नहीं उड़ पाता हूँ.


हर मौसम में देखे 

नदियों की धारा,

सामवेद कैसे गाता 

मैं बंजारा,

वीणा संग मृदंग और 

कुछ मादल भी 

वंशी लेकर वृन्दावन 

तक जाता हूँ.

चित्र साभार गूगल 
कवि जयकृष्ण राय तुषार 


Tuesday, 11 February 2025

कुम्भ गीत -माथ -माथ चंदन है

 

चित्र साभार गूगल 

एक ताज़ा गीत -गंगा सा निर्मल मन 

गंगा सा 

निर्मल मन 

माथ -माथ चंदन है.

संगम की 

रेती में 

सबका अभिनन्दन है.


थके -थके 

पाँव मगर 

मन में उत्साह प्रबल,

महाकुम्भ 

दर्शन को 

आतुर है विश्व सकल,

मणिपुर-

केरल,काशी, 

पेरिस औ लंदन है.


कालिंदी 

गंगा का सुखद 

मिलन बिंदु यही,

भक्तों की 

आस्था का 

एक महासिंधु यही,

संत और 

अखाड़ों का 

यहाँ वहाँ वंदन है.


ब्रह्मा की 

यज्ञ भूमि 

तीर्थराज कहते हैं,

द्वादश माधव 

इसमें रक्षक 

बन रहते हैं,

यह तो 

रविदास की 

कठौती का कँगन है.


कवि 

जयकृष्ण राय तुषार


एक प्रेमगीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ

  चित्र साभार गूगल  आप सभी का दिन शुभ हो  एक प्रेम गीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ  आसपास है कोई  जिसको ख़बर नहीं  उसकी यादों में  मैं...