Tuesday, 21 May 2024

एक पुरानी ग़ज़ल -ग़ज़ल, ये गीत, ये किस्सा

 

 

चित्र साभार गूगल


एक ग़ज़ल-

ग़ज़ल ये गीत ये किस्सा कहानी छोड़ जाऊँगा

तुम्हारा प्यार ये चेहरा नूरानी छोड़ जाऊँगा


अभी फूलों की खुशबू झील में सुर्खाब रखता हूँ

किसी दिन गुलमोहर ये रातरानी छोड़ जाऊँगा


हमारी प्यास इतनी है कि दरिया सूख जाते हैं

किसी दिन राख, मिट्टी, आग- पानी छोड़ जाऊँगा


अभी चिड़ियों की बंदिश सुन रहा हूँ पेड़ के नीचे

कभी हल बैल ये खेती किसानी छोड़ जाऊँगा


सफ़र में आख़िरी ,नेकी ही अपने साथ जाएगी

ये शोहरत और दौलत ख़ानदानी छोड़ जाऊँगा


कभी सुनना हो मुझको तो मेरा दीवान पढ़ लेना 

किताबों में मैं फूलों की निशानी छोड़ जाऊँगा 


दिलों की आलमारी में हिफ़ाजत से इसे रखना 

इसी घर में मैं सब यादें पुरानी छोड़ जाऊँगा 


मैं मिलकर ॐ में इस सृष्टि की रचना करूँगा फिर 

ये धरती ,चाँद ,सूरज आसमानी छोड़ जाऊँगा 


कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


Sunday, 12 May 2024

माँ -एक पुराना गीत माँ तुम गंगाजल होती हो

 

 

मेरी पत्नी के स्मृतिशेष पिता और माँ 
मेरी माँ   की कोई तस्वीर  नहीं है 

एक पुराना गीत मेरे प्रथम संग्रह सदी को सुन रहा हूँ मैं 'से 

मातृदिवस पर  सभी माताओं को समर्पित शब्द पुष्प 


माँ तुम गंगाजल होती हो 
मेरी ही यादों में खोयी 
अक्सर तुम पागल होती हो 
माँ तुम गंगाजल होती हो 

जीवन भर दुख के पहाड़ पर 
तुम पीती आँसू के सागर 
फिर भी महकाती फूलों सा 
मन का सूना संवत्सर 
जब -जब हम गति लय से भटकें 
तब -तब तुम मादल होती हो 

व्रत -उत्सव मेले की गणना 
कभी न तुम भूला करती हो 
सम्बन्धों की डोर पकड़कर 
आजीवन झूला करती हो 
तुम कार्तिक की धुली -
चाँदनी से ज्यादा निर्मल होती हो 

पल -पल जगती सी आँखों में 
मेरी खातिर स्वप्न सजाती 
अपनी उमर हमें देने को 
मंदिर में घंटियाँ बजाती 
जब -जब ये आँखें धुंधलाती 
तब -तब तुम काजल होती हो 

हम तो नहीं भागीरथ जैसे 
कैसे  सिर से कर्ज उतारें 
तुम तो खुद ही गंगाजल हो 
तुझको हम किस जल से तारें 
तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे 
तुम तो स्वयं कमल होती हो 

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र -साभार गूगल 

Monday, 6 May 2024

पुस्तक समीक्षा -विनम्र विद्रोही -भारती राठौड़ एवं डॉ मेहेर वान

 

पुस्तक 


"विनम्र विद्रोही "अद्वितीय गणितज्ञ रामानुजन 

लेखक भारती राठौड़ एवं मेहेर वान 

डॉ मेहेर वान और भारती राठौड़ की अभी हाल में पुस्तक पेगुइन इंडिया एवं हिन्द पॉकेट बुक्स जिसे पेगुइन ने खरीद लिया है प्रकाशित हुई है. किताब बहुत ही अच्छे शीर्षक के साथ प्रकाशित हुई है. डॉ मेहेर वान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद में वैज्ञानिक हैँ उनकी पत्नी सहलेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैँ. विज्ञान विषय पर उत्कृष्ट लेखन हिंदी में कम हुआ है लेकिन यह पुस्तक बहुत रोचक ढंग से लिखी गयी है. जितना सुन्दर प्रामाणिक अनुसंधान हुआ है उतनी ही सुन्दर सहज भाषा में रामानुजन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया है. प्रारम्भिक दिनों में मेहेर वान आकाशवाणी के युवा कार्यक्रमों से भी प्रयागराज में जुड़े रहे. महान गणितज्ञ रामानुजन के विभिन्न पहलुओं के बखूबी उकेरा गया है. आवश्यक चित्र हस्तलिपि भी पुस्तक को रोचक बनाते हैँ. मेहेर वान और भारती राठौड़ जी को इस पुस्तक के लिए बधाई और शुभकामनायें.




एक पुराना होली गीत. अबकी होली में

   चित्र -गूगल से साभार  आप सभी को होली की बधाई एवं शुभकामनाएँ  एक गीत -होली  आम कुतरते हुए सुए से  मैना कहे मुंडेर की | अबकी होली में ले आन...