एक गीत -जगमग हिंदुस्तान
नए क्षितिज पर
नए सूर्य से
जगमग हिंदुस्तान.
विश्व समूचा
आज कर रहा
भारत का जयगान.
धर्म -संस्कृति
और राष्ट्र के
गौरव पर अभिमान,
सागर में बेखौफ़
तिरंगा
लहराता जलयान,
देख रही
दिल्ली की गद्दी
सेवक का ईमान.
नए वर्ष में
केसर महके
घर -घर बजे मृदंग,
वासन्ती
गलियों में
छेड़े मौसम संग अनंग,
हर घर हो
चंदन का टीका
काजल औ लोबान.
आम्र कुंज में
मंजरियों की
आभा रहे निराली,
खेतों में
मज़दूरन पियरी
पहने, हो खुशहाली,
इंद्रधनुष सी
छटा बिखेरे
भारत वर्ष महान.
गंगा -जमुना
विंध्य नर्मदा
निर्मल रहे हिमालय,
शंख बजाकर
करे आरती
देवभूमि देवालय,
सब धर्मों का
आदर करना
सब गुरुओं का मान.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (29-12-2022) को "वाणी का संधान" (चर्चा अंक-4630) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ख़ूब, प्रभावशाली !
ReplyDeleteबधाई आपको
नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें भाई साहब
Deleteबहुत प्यारी रचना
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें सर
Deleteबहुत उम्दा रचना ।
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें
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