Friday, 25 November 2022

नए वर्ष का गीत -स्वस्ति लिए आना तुम

चित्र साभार गूगल 


नववर्ष का मंगल गीत -स्वस्ति लिए आना तुम

होठों पर

वंशी ले गीत

मधुर गाना तुम.

रवि नव -

सम्वतसर के

स्वस्ति लिए आना तुम.


हरे पात -

फूलों में

चिड़ियों की चहक रहे,

वातायन

आँगन में

केसर की महक रहे,

आँखों में

भर देना

स्वप्न हर सुहाना तुम.


भारत माँ

गंगा की

धारा हो पावनी,

कत्थक हो

कुचीपुड़ी

और कहीं लावनी,

जम्मू, केरल

इम्फल,

गोवा को भाना तुम..


सारे मौसम

महकें

ऋतुओं का गान रहे,

साँझ ढले

पथ -चौरा,गेह 

दीप्तिमान रहे,

सूर्यमुखी

खेतों से

आँख भी मिलाना तुम.

कवि -

जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र साभार गूगल 


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