चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल-उससे मिलने का बहाना है ग़ज़ल
कुछ हक़ीकत कुछ फ़साना है ग़ज़ल
धूप में इक शामियाना है ग़ज़ल
प्यास होठों की इबादत इश्क की
दिल के लफ़्ज़ों का खज़ाना है ग़ज़ल
चाँद, सूरज,आसमाँ कुछ भी नहीं
उससे मिलने का बहाना है ग़ज़ल
धूप,साया,खुशबुएँ, बारिश,हवा
मौसमों का भी ठिकाना है ग़ज़ल
दर्द,तनहाई, ग़रीबी, मुफ़लिसी
सरफ़रोशी का तराना है ग़ज़ल
कवि जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२ -०३ -२०२२ ) को
'भरी दोपहरी में नंगे पाँवों तपती रेत...'(चर्चा अंक-४३६७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीया अनिता जी आपका हृदय से आभार
Deleteचाँद, सूरज,आसमाँ कुछ भी नहीं
ReplyDeleteउससे मिलने का बहाना है ग़ज़ल//
बहुत प्यारीऔर माधुर्य भरी गजल तुषार जी।हमेशा की तरह शानदार रचना।
आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन रेणु जी।
Deletebhaut hi achcha likha hai aapne .
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका भाई
Deleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम
Deleteशानदार ग़ज़ल!
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब।
हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
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