चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -राष्ट्रधर्म से बड़ा नहीं कुछ
राष्ट्रधर्म से
बड़ा नहीं कुछ
मत बेचो ईमान को |
जाति -धर्म से
उपर उठकर
बदलो हिन्दुस्तान को |
गंगा की
अमृत धारा में
विष का अर्क न घोलो ,
सिंह गर्जना
करके भारत-
माता की जय बोलो ,
तोड़ न
पाये सारी दुनिया
भारत के अभिमान को |
दुश्मन के
नापाक इरादे
खतरनाक हैं संभलो ,
जयचंदों
के षड्यन्त्रों को
"पृथ्वी " बनकर कुचलो ,
कभी न पहुंचे
ठेस तिरंगे -
जन गण के सम्मान को |
चित्र -साभार गूगल |
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-2019) को "यीशू को प्रणाम करें" (चर्चा अंक-3560) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार सर
Delete