एक गीत -राम -कृष्ण -गंगा की धरती भारत !
इसे प्रणाम करो
राम-कृष्ण
गंगा की धरती भारत !
इसे प्रणाम करो |
जिस मिटटी में
जन्म लिए
यह जीवन उसके नाम करो |
हमें प्रज्ज्वलित
करना है फिर
बुझती हुई मशालों को ,
दन्तहीन
करना होगा
अब सारे विषधर व्यालों को ,
इसे द्वारिका पुरी
बना दो
या सरयू का धाम करो |
खतरे में है
देश हमारा
पढ़े -लिखे गद्दारों से ,
षड्यन्त्रों की
बू आती है
मजहब की दीवारों से ,
देश विरोधी
गतिविधियों से
इसको मत बदनाम करो |
भारत सबका
आश्रयदाता
सबसे साथ निभाता है ,
एक साथ सूफ़ी
गुरुवाणी
कीर्तन मौसम गाता है ,
संविधान का
आदर करना
सीखो मत संग्राम करो |
सभी चित्र -साभार गूगल |
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २४ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-12-2019) को "अब नहीं चलेंगी कुटिल चाल" (चर्चा अंक-3559) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह! बहुत बढ़िया। तात्कालिक परिस्थिति में सार्थक संदेश दे रही है रचना।
ReplyDeleteशुक्रिया शाह साहब
Deleteवाह !लाज़वाब सृजन आदरणीय
ReplyDeleteसादर
अनीता जी आपका हार्दिक आभार
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत
सुधा जी आपका हार्दिक आभार
Deleteवाह
ReplyDeleteआभार सर
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteलाज़वाब सृजन आ. 🙏 🙏 🙏 सादर
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अनुग्रहित करें https://Sudhaa1075.blogspot.com
आभार आपका |आपका ब्लॉग देखा अच्छा लगा कमेंट्स भी किया
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