परिचय -डॉ 0शिवबाहादुर सिंह भदौरिया
बैसवारे की मिट्टी में साहित्य के अनेक सुमन खिले हैं जिनकी रचनाशीलता से हिंदी साहित्य धन्य और समृद्ध हुआ है. स्मृतिशेष डॉ 0 शिव बहादुर सिंह भदौरिया भी इसी मिट्टी के कमालपुष्प है. 15 जुलाई सन 1927 को ग्राम धन्नी पुर रायबरेली में आपका जन्म हुआ. हिंदी नवगीत को असीम ऊँचाई प्रदान करने वाले भदौरिया जी डिग्री कालेज में प्रचार्य पद से सेवानिवृत हुए और 2013 में परलोक गमन हुआ. उनके सुपत्र भाई विनय भदौरिया जी स्वयं उत्कृष्ट नवगीतकार हैं और प्रत्येक वर्ष पिता की स्मृतियों को सहेजने के किए डॉ 0 शिवबहादुर सिंह सम्मान दो कवियों को प्रदान करते हैं.
स्मृतिशेष की स्मृतियों को नमन
बैठी है
निर्जला उपासी
भादों कजरी तीज पिया |
अलग -अलग
प्रतिकूल दिशा में
सारस के जोड़े का उड़ना |
किन्तु अभेद्य
अनवरत लय में
कूकों, प्रतिकूलों का का जुड़ना |
मेरा सुनना
सुनते रहना
ये सब क्या है चीज पिया |
क्षुब्ध हवा का
सबके उपर
हाथ उठाना ,पांव पटकना
भींगे कापालिक -
पेड़ों का
बदहवास हो बदन छिटकना |
यह सब क्यों है
मैं क्या जानूँ
मुझको कौन तमीज पिया |
चित्र -गूगल से साभार |
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 17-09-2015 को चर्चा मंच के अंक चर्चा - 2101
ReplyDeleteमें की जाएगी
धन्यवाद
बहुत सुंदर
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