Sunday, 6 September 2015

एक गंगा गीत -धार गंगा की बचाओ

चित्र -गूगल से साभार 

एक गंगा गीत 
फूल -माला 
मत चढ़ाओ 
धार गंगा की बचाओ |
मन्त्र पढ़ने 
से जरुरी 
भक्त जन कचरा उठाओ |

लहर जिस पर 
चांदनी के फूल 
झरते थे कभी ,
देव- ऋषि 
अपने सभी 
जलपात्र भरते थे कभी ,
उस नदी के 
नयन से 
अब अश्रुधारा मत बहाओ |

सिर्फ गंगा 
नहीं चम्बल 
बेतवा -यमुना तुम्हारी ,
ये रहेंगी 
तब रहेगी 
श्यामला धरती हमारी ,
इस भयावह 
दौर में कोई 
भागीरथ ढूंढ लाओ |

यह नदी 
होगी तभी 
ये पर्व ये मेले रहेंगे ,
सिर्फ़ नारों से 
नहीं ये 
विष भरे कचरे बहेंगे ,
उठो 
स्वर्णिम धार 
हो जाये नदी में ज्वार लाओ |

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