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चित्र -गूगल से साभार |
एक लोकभाषा कविता -ई सरहद के तोड़ी बनी विश्व भाषा
ई हिंदी हौ भारत के
जन -जन कै भाषा |
एकर होंठ गुड़हल हौ
बोली बताशा |
इ तुलसी क चौपाई
मीरा क बानी ,
एही में हौ परियन क
सुन्दर कहानी
एही भाषा में सूरसागर
रचल हौ
जहाँ कृष्ण गोपिन
क बचपन बसल हौ
एही बोली -बानी में
बिरहा -चनैनी
इहै सोरठा हौ
एही में रमैनी
ई सोना हौ भैया
न पीतल न कांसा |
ई भाषा शहीदन के
माथे रहल हौ
एही में आज़ादी कै
नारा गढ़ल हौ
ई भाषा त कोहबर
कियारी में हउवै
ई रसखान में हौ
बिहारी में हउवै
एही भाषा में
सन्त निर्गुण सुनावै
एही भाषा में घाघ
मौसम बतावैं
एहि भाषा में हौ
केतनी बोली -विभाषा |
केतनी बोली -विभाषा |
एही में लता कै
रफ़ी कै हौ गाना
कि जेकर ई दुनिया
बा आजौ दीवाना
महाकुम्भ में एकर
तम्बू तनाला
जहाँ संत साधुन क
प्रवचन सुनाला
भले आज हिंदी हौ
बनवासी सीता
मगर एक दिन
होई दुनिया क गीता
ई सरहद के तोड़ी
बनी विश्व भाषा |