चित्र -गूगल से साभार |
इस मुश्किल
मौसम में तुमने
माँगा मुझसे गीत प्यार का |
गीत तुम्हारे
मन के होंगे
पहले मौसम हो बहार का |
धुंध भरी
संध्याएँ -सुबहें
दिन उजले हो गए हाशिए ,
अनगिन
भाषा अर्थ तुम्हारे
कैसे पढ़ते हम दुभाषिए ,
शब्द थके हैं
कलम न स्याही
मन का सागर बिना ज्वार का |
हरियर सपने
ढके ओस में
कुछ दिन है बसंत आने दो ,
खुले गगन में
खुली धूप में
नये परिंदों को गाने दो ,
हिमपातों के
बाद हंसेगा
इस घाटी में वन चिनार का |
जूड़े में मत
फूल टांकना
मेरे गीत महक जायेंगे ,
गीत अगर
कुछ जादा महके
मेरे पांव बहक जायेंगे ,
पंचम दा
सा हम गायेंगे
सुर मिलने दो इस सितार का |
लाजवाब प्रेम से परिपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
मन मंत्रमुग्ध हो गया...मधुर-मधुर...
ReplyDeleteआदरनीय भाई चतुर्वेदी जी और अमृता जी आपका शुक्रिया |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गीत .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (3 से 9 जनवरी, 2014) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
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सुंदर भाव...सुंदर रचना...
ReplyDeleteपरिपूर्ण सुंदर भाव
ReplyDeleteमनोमुग्धकारी गीत -सरस,सुन्दर और सुकुमार !
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