चित्र -गूगल से साभार |
खिड़कियों के
पार का
मौसम बदलता है |
मगर
मन के शून्य में
कुछ और चलता है |
यह दिसम्बर
रहे या फिर
जनवरी आये ,
भीड़ को
गोवा या केरल ,
मदुरई भाये ,
जहाँ
दरिया है वहीं
टापू निकलता है |
फूल से
जादा उँगलियों की
महक भाती ,
धुंध में
आकाश में
चिड़िया नहीं गाती ,
घने बादल
चीरकर
सूरज निकलता है |
ये पेड़
आंधी या
बवंडर से नहीं डरते ,
विषम
मौसम में
नहीं ये ख़ुदकुशी करते ,
मौन से
संवाद
कर लेना सफलता है |
चित्र -गूगल से साभार |
मौन से
ReplyDeleteसंवाद
कर लेना सफलता है...
अंदर का मौसम ज्यादा प्रभावित करता है हमें...
//मगर
ReplyDeleteमन के शून्य में
कुछ और चलता है |//
या फिर,
// मौन से
संवाद
कर लेना सफलता है //
बहुत सही.. .
आज अचानक टहलता हुआ ही सही आया, अच्छा लगा. आपको भी लगा हो.
शुभ-शुभ
-सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
भाई वाणभट्ट जी भाई सौरभ जी कमेंट्स और ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (23-12-13) को "प्राकृतिक उद्देश्य...खामोश गुजारिश" (चर्चा मंच : अंक - 1470) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मौन से
ReplyDeleteसंवाद
कर लेना सफलता है |
umda..lekhan
दृश्य बड़े मन को भाते हैं, जो चुपके से दिख जाते हैं।
ReplyDeleteबहुत ही खूब ... मौन से संवाद हो जाए तो सब कुछ सफल ... सुन्दर नवगीत ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत... मन की खिडकियों के पार का दृश्य उपस्थित करता..
ReplyDeleteजहाँ
ReplyDeleteदरिया है वहीं
टापू निकलता है--
बहुत सुन्दर ! बधाई इस सुन्दर गीत के लिए
~सादर
मौन संबाद अर्थात आत्म बातचीत ....सबसे उत्तम बातचीत !
ReplyDeleteनई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण पंक्तियाँ, ! बधाई इस रचना के लिए ...!
ReplyDelete=======================
RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन बदसूरत बच्चा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गीत ....
ReplyDeleteशाख से टूटी पत्तियां
ReplyDeleteछोड़ गए बसेरा पंछी
ठूँठ हो गया पेड़
नहीं करता आत्महत्या !
मौन के संवाद में
प्रार्थना के बोल कही !
Bahut hi khoobsoorat bimbon ke madhyam se mausam aur manasthiti ko darshaya hai!! Sundar!!
ReplyDeleteआप सभी का हृदय से आभार |
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत
ReplyDelete