जंगल तबाह करके शहर मत बनाइये
लौटेंगे शाम होते ही पंछी उड़ान से
इन घोंसलों को फूँक के घर मत बनाइये
ताज़ा हवा ,ये फूल ,ये खुशबू न छीनिए
मुश्किल हमारा और सफ़र मत बनाइये
ईजाद यूँ तो नस्लें नई कीजिये मगर
बौना हो जिसका कद वो शज़र मत बनाइये
पत्थर में भी हुनर है तो तारीफ़ कीजिये
जेहनों को इतना तंग नज़र मत बनाइये
बस्ती ये पुर सुकून है दिल्ली में ही रहें
अपना निवास आप इधर मत बनाइये
काला धुआं है सिर्फ़ तरक्की के नाम पर
वातावरण को आप ज़हर मत बनाइये
इनका तो काम प्यास बुझाना है दोस्तों
नदियों के दरमियान गटर मत बनाइये
ख़बरों की असलियत का पता कुछ हमें भी है
शोहरत के वास्ते ही ख़बर मत बनाइये
नदियों के दरमियान गटर मत बनाइये
ख़बरों की असलियत का पता कुछ हमें भी है
शोहरत के वास्ते ही ख़बर मत बनाइये
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चित्र -गूगल से साभार |