पेन्टिंग -गूगल से साभार |
रंग -गुलालों वाला मौसम
रंग -गुलालों-
वाला मौसम
कोई मेरा गाल छू गया |
खुली चोंच से
जैसे कोई पंछी
मीठा ताल छू गया |
दूर हुई
तनहाई मन की
हम भी खिलने लगे फूल से ,
हुए डहेलिया
और मोगरे कल तक
थे जो दिन बबूल से ,
एक हवा का
झोंका आया
मुझे रेशमी बाल छू गया |
जाने क्या
हो गया चैत में
लगी देह परछाई बोने ,
पीले हाथ
लजाती ऑंखें
भरे दही गुड़ पत्तल -दोने ,
सागर
खोया था लहरों में
एक अपरिचित पाल छू गया |
छन्द प्रेम के
रंग भींगते
एक गीत के माने कितने ,
इस मौसम में
लिखना मुश्किल
हैं गोकुल ,बरसाने कितने ,
होरी गाना
मैं भी भूला
जाने कब करताल छू गया |
हुआ साँवला
रंग सुनहरा
देह कटार ,नयन में सपने ,
कामरूप का
जादू -टोना
इस मौसम में सब हैं अपने ,
कविता को
वनलता सेन का
आप सभी मित्रों को होली की बहुत -बहुत शुभकामनाएँ
ReplyDeleteSundar rachana! Aapko holi bahut mubarak ho!
ReplyDeleteसुंदर गीत ... होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteहोली पर बहुत सुन्दर गीत...हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteअब लगा कि फागुन आ गया.
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ...
होली की शुभकामनायें आपको...सुन्दर श्रंगार गीत...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुती
_**_**happy holi _**_**
गीत का फागुनी रंग मन को रंग गया !
ReplyDeleteआप को सपरिवार होली की अनंत शुभकामनाएँ !
आभार !
वाह वाह वाह
ReplyDeleteअतिसुन्दर गीत है
और फोटो तो आप ऐसे छांट लाते हैं जिसे कि फोटो को देख कर ही गीत लिखा गया हो
बधाई बधाई बधाई
इस भावप्रवण कविता के लिये हार्दिक बधाई, तुषार जी.
ReplyDeleteजाने क्या
हो गया चैत में
लगी देह परछाई बोने ,
पीले हाथ
लजाती ऑंखें
भरे दही गुड़ पत्तल -दोने
जाने क्या छू गया इन पंक्तियों की कोर से.. . वाह !
होली झूम कर खेल आइये. शुभेच्छाएँ.. .
बहुत सुंदर ....होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteहोली के सुनहरे रंग बिखेर दिए हैं आपने ... आपको भी बधाई होली की ...
ReplyDeleteप्रेम रंग में डूबा हुआ मनभावन गीत।
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं।
bahut hi sundar rachna ke liye badhai aur saath me holi ki dher sari shubhkamnayen.
ReplyDeleteखूबसूरत होली गीत के लिए बधाइयाँ...साथ ही रंगों के त्यौहार होली के लिए अग्रिम शुभकामनाएं...
ReplyDeleteरंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें !
ReplyDeleteबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से होली की अग्रिम शुभकामनाएँ।
इतना प्यारा और मनमोहक गीत कि मन करता है पढ़ते ही रहो ............
ReplyDeleteहोली के इस उपहार के लिए आभार और आपको होली की अशेष शुभकामनाये
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteकल 07/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
'' होली की शुभकामनायें ''
इस कविता के अनूठे बिम्ब आकर्षित करते हैं ...
ReplyDelete१. खुली चोंच से जैसे कोई पंछी मीठा ताल छू गया|
२. लगी देह परछाई बोने
३. ,सागर खोया था लहरों में एक अपरिचित पाल छू गया |
४. कविता को वनलता सेन का हरा -भरा बंगाल छू गया |
अहा ... क्या प्रयोग है ... “कविता को वनलता सेन का हरा -भरा बंगाल छू गया |”
आपकी कविताओं का फैन तो मैं था ही, इसबार तो लगा हुआ चित्र.... !
एक एक बिम्ब इतना कोमल इतना खूबसूरत ....बंगाल वाकई साहित्य की तपोभूमि है !!!!
ReplyDeleteहोली पर आपको ढेर सी शुभकामनायें ..सादर
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteआपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
"हुए डहेलिया
ReplyDeleteऔर मोगरे कल तक
थे जो दिन बबूल से ,"
अति सुंदर ! प्रेम में पगी बहुत ही सुंदर रचना !
होली मुबारक !
छन्द प्रेम के
ReplyDeleteरंग भींगते
एक गीत के माने कितने ,
इस मौसम में
लिखना मुश्किल
हैं गोकुल ,बरसाने कितने ,
होरी गाना
मैं भी भूला
जाने कब करताल छू गया
तुषार जी, एक उत्कृष्ट गीत है यह।
बहुत-बहुत बधाई !
वाह! धीरे-धीरे आप हमे अपना दीवाना बना देंगे।
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