Sunday, 23 February 2020

एक गीत -सारे नकली ताल -तबलची


एक गीत--सारे नकली ताल-तबलची
कुरुक्षेत्र
के महारथी
सब गुणा-भाग में ।
धरना भी
प्रीपेड
हुआ शाहीन बाग़ में ।

जनता में
ईमान नहीं
हो गयी बिकाऊ,
लोकतंत्र
जर्जर, दीवारें
नहीं टिकाऊ,
जहरीले थे
और पंख
लग गए नाग में।

बिल्ली
बनकर रोज
प्रगति की राह काटते,
खबरों के
मालिक
अफ़ीम सी ख़बर बाँटते,
सारे नकली
ताल-तबलची
रंग-राग में ।

सत्ता की
मंशा कुछ,
मंशा कुछ विपक्ष की,
यज्ञ कुंड
हो गयी प्रजा
अब नृपति दक्ष की,
स्वप्न
दक्ष कन्या से
जलने लगे आग में ।

बिगड़ी
बोली-बानी
बिगड़ी है भाषाएं,
छंदहीन
हो गईं
किताबों में कविताएं,
गंध
उबासी
नकली फूलों के पराग में।

चित्र -साभार गूगल 

15 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 23 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete

  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 26 फरवरी 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. वाह!!बहुत खूब!

    ReplyDelete
  4. वाह बहुत खूब , लाजवाब प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  5. वाह!!!
    लाजवाब सृजन...

    ReplyDelete
  6. विचारोत्तेजक

    ReplyDelete
  7. बिल्ली
    बनकर रोज
    प्रगति की राह काटते,
    खबरों के
    मालिक
    अफ़ीम सी ख़बर बाँटते,
    सारे नकली
    ताल-तबलची
    रंग-राग में ।
    बहुत सुंदर तुषार जी | समसामयिक तंज जो देश की अराजकता के षड्यंत्रों पर करारा प्रहार है | हार्दिक शुभकामनाओं के साथ |

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार रेणु जी

      Delete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ख़्वाब किसने भर दिया

  ग़ज़ल  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - जब कभी थककर के लौटा गोद में सर धर दिया  माँ ने अपने जादुई हाथों से चंगा कर दिया  फूल, खुशबू, तितलियाँ, नदि...