Saturday, 22 February 2020

एक गीत -कालिया जी इक मोहब्बत का फ़साना साथ लाये

हिंदी कहानी के चार यार -चित्र साभार गूगल 



ख्यातिलब्ध उपन्यासकार ,संस्मरण लेखक ,कथाकार ,बेहतरीन सम्पादक ,यारों के यार ,हिंदी कहानी के चार यार [ज्ञानरंजन ,काशीनाथ सिंह ,दूधनाथ सिंह और स्मृतिशेष रवीन्द्र कालिया ]और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक पद को सुशोभित कर चुके रवीन्द्र कालिया ने धर्मयुग ,गंगा -जमुना ,वागर्थ ,और नया ज्ञानोदय का बेहतरीन सम्पादन किया था | उनकी धर्मपत्नी ममता कालिया हिंदी की चर्चित कथाकार हैं | रवीन्द्र कालिया के परममित्र ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह भी अब हमारे बीच नहीं हैं | कालिया जी के गुरु महान कथाकार ,नाटककार मोहन राकेश थे |

कालिया जी को याद करते हुए एक गीत -
कालिया जी इक मोहब्बत का फ़साना साथ लाये 

छोड़कर 
जगजीत का संग 
जब इलाहाबाद आये |
कालिया जी 
इक मोहब्बत का 
फ़साना साथ लाये |

शब्द के 
जल से प्रवाहित 
किये गंगा और जमुना ,
आँख 
जालन्धर
रसूलाबाद उनकी नींद ,सपना ,
हमसफ़र 
बन गये 
ममता कालिया का साथ पाये |

चार यारों 
की कलम 
हिंदी कहानी चूमती है ,
कुछ इलाहाबाद 
काशी की 
धुरी पर घूमती है ,
कालिया जी 
कुछ अलग थे 
अनगिनत किरदार पाये |

कई मौसम 
शहर कितने 
बदलकर बदले नहीं ,
कालिया जी 
इस इलाहाबाद 
से निकले नहीं |
ज़िन्दगी 
जिन्दादिली से 
जिए सारे ग़म भुलाये |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
कथाकार ममता कालिया 

1 comment:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(18-02-2020 ) को " अतिथि देवो भवः " (चर्चा अंक - 3622) पर भी होगी

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का

    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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