चित्र -गूगल से साभार |
चित्र -गूगल से साभार |
एक देशगान -आज दिवस है सेनाओं के साहस के जयगान का
खौल रहा है खून
बुद्ध की धरती हिन्दुस्तान का |
हुक्का -पानी बन्द करो
मोदी जी पाकिस्तान का |
हमने जितनी भी कोशिश की
सबकी सब बेकार गई ,
रावलपिंडी की मक्कारी से
मानवता हार गई ,
चीख रहा है बच्चा -बच्चा
आज बलूचिस्तान का |
चक्र सुदर्शन वाले हैं हम
मत समझो गुब्बारे हैं ,
माथा ठनका तो
दुश्मन को उसके घर में मारे हैं
आज दिवस है सेनाओं के
साहस के जयगान का |
खतरे में जिसका वजूद
वह देश हमें धमकाता है ,
अब सुनो कराची कान खोल
माँ काली भारत माता है ,
सदियों से युग देख
रहा है साहस हिंदुस्तान का |
रहा है साहस हिंदुस्तान का |
नहीं खिलौने देते बच्चों को
बन्दूक थमाते हैं ,
एक पड़ोसी जहाँ रोज
आतंकी पाले जाते हैं ,
हर प्यासे को स्वप्न बेचते
केवल नखलिस्तान का |
चित्र -गूगल से साभार |
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-10-2016) के चर्चा मंच "आदिशक्ति" (चर्चा अंक-2482) पर भी होगी!
ReplyDeleteशारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "भाखड़ा नंगल डैम पर निबंध - ब्लॉग बुलेटिन“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....सबक तो सिखाना ही पड़ेगा .
ReplyDeleteलातों के भूत बातों से नहीं मानते न .
ReplyDeleteअब इस समस्या का समाधान निकलना चाहिए
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