चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -यह मुल्क हमारा सबको गले लगाता है
आना जी यह मुल्क हमारा
सबको गले लगाता है |
दुनिया के हर सैलानी से
इसका रिश्ता नाता है |
हिन्दू जैसे फूल कमल का
मुस्लिम यहाँ गुलाब है ,
अपना हिन्दुस्तान
समूची कायनात का ख़्वाब है ,
हिंसा नहीं सिखाता सूफ़ी
गीत प्रेम के गाता है |
यह तीर्थों का देश
पर्व सबको खुशहाली देते हैं ,
बोली -भाषा ,पंथ कई
सब भारत माँ के बेटे हैं ,
विविध रंग वाला यह उपवन
अनगिन फूल खिलाता है |
यह अब्दुल हमीद की माटी
बलिदानों की गाथा है ,
भगत सिंह, आज़ाद
तुम्हीं से इसका उन्नत माथा है ,
यह भटके- भूले लोगों को
राह बताने आता है |
क्षमा मांग ले शत्रु अगर
हम उसको गले लगाते हैं ,
संविधान से संकट में हम
अपनी ताकत पाते हैं ,
अब कोई सम्राट नहीं
sundar geet hetu hardik badhai tushar ji
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteशुक्रिया आप दोनों का |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....कमल और गुलाब का सुन्दर और सटीक प्रयोग .
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-10-2016) के चर्चा मंच "कुछ बातें आज के हालात पर" (चर्चा अंक-2483) पर भी होगी!
ReplyDeleteमहात्मा गान्धी और पं. लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती की बधायी।
साथ ही शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-10-2016) के चर्चा मंच "कुछ बातें आज के हालात पर" (चर्चा अंक-2483) पर भी होगी!
ReplyDeleteमहात्मा गान्धी और पं. लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती की बधायी।
साथ ही शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'