Sunday, 9 November 2025

एक आस्था का गीत. देवभूमि उत्तराखंड

 

भगवान केदारनाथ



यह ऋषियों की भूमि
यहां की कथा निराली है।
गंगा की जलधार यहां
अमृत की प्याली है।

हरिद्वार, कनखल, बद्री
केदार यही मिलते
फूलों की घाटी में
अनगिन फूल यहां खिलते,
देवदार चीड़ों के वन
कैसी हरियाली है।

शिवजी की ससुराल
यहीं पर मुनि की रेती है,
दक्ष यज्ञ की कथा
समय को शिक्षा देती है,
मनसा देवी यहीं
यहीं मां शेरावाली है।

हर की पैड़ी जलधारों में
दीप जलाती है,
गंगोत्री यमुनोत्री
अपने धाम बुलाती है,
हेमकुण्ड है यहीं
मसूरी और भवाली है।

पर्वत घाटी झील
पहाड़ी धुन में गाते हैं,
देव यक्ष गंधर्व
इन्हीं की कथा सुनाते हैं,
कहीं कुमाऊं और कहीं
हंसता गढवाली है।

लक्ष्मण झूला शिवानन्द की
इसमें छाया है,
शान्तिकुंज में शांति
यहां ईश्वर की माया है,
यहीं कहीं कुटिया भी
काली कमली वाली है।

भारत माता मंदिर में
भारत का दर्शन है,
सीमा पर हर वीर
यहां का चक्र सुदर्शन है,
इनके जिम्मे हर दुर्गम
पथ की रखवाली है।

उत्सवजीवी लोग यहां
मृदुभाषा बोली है,
यह धरती का स्वर्ग
यहां हर रंग रंगोली है,
वन में कैसी हिरनों की
टोली मतवाली है।

यज्ञ धूम से यहां सुगन्धित
पर्वत नदी गुफाएं
यहीं प्रलय के बाद जन्म लीं
सारी वेद ऋचाएं,
नीलकण्ठ पर्वत की कैसी
छवि सोनाली है।

कवि/गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार


उत्तराखण्ड के समस्त निवासियों को समर्पित
चित्र uttarakhandevents.com से साभार

12 comments:

  1. जगहों के नाम सिर्फ गिनाए नहीं, उनमें बसे भावों को जगा दिया। बद्री-केदार की यात्रा मन को बदल देती है, और फूलों की घाटी सच में किसी दूसरे लोक जैसी लगती है। लक्ष्मण झूला, शान्तिकुंज, देवदार के जंगल, सब जैसे आँखों के सामने खुल गए।

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  2. क्या सुंदर , बेहद मनमोहक गीत सर।
    सादर।
    -----
    नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ११ नवंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. वाह!! आपने देवभूमि के दर्शन घर बैठे ही करा दिये!!

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  4. उत्तराखंड देवभूमि की निराली छटा का बड़ा ही सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है आपने,,,बहुत अच्छी प्रस्तुति,,

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  5. उत्तराखंड देवभूमि की निराली छटा का बड़ा ही सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है आपने,,,बहुत अच्छी प्रस्तुति,,

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