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भारत माता |
एक देशगान
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माननीय प्रधानमंत्री जी |
संकट में था
सिंदूर
सनातन, महाकाल.
हिमशिखर
पिघलने लगे
सिंधु में है उबाल.
तन गयी
भृकुटि मोदी जी
हैं रुद्रावतार,
फिर कुपित
राम की सेना
लंका पर प्रहार,
निकलो
वीरों त्रिशूल के
संग लेकर मशाल.
काफ़िर
मत कहना
मूर्ख सुदर्शन चक्र देख,
विषपाई
शिव की
भृकुटि हो गयी वक्र देख,
हुंकार
हमारी सुन
भारत माता निहाल.
अब भजन
नहीं मंदिर में
फूंको पांचजन्य,
इस महाप्रलय
से सजग रहें
अब शत्रु अन्य,
भर जाय
रक्त से दुश्मन का
हर झील, ताल
वन्देमातरम. जय हिन्द
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भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी और चाणक्य माननीय गृहमंत्री जी |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 10 मई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteवाह लाजवाब रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. भारती जी नमस्ते
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