एक देशगान-आज़ादी का पर्व बड़ा है
आज़ादी का पर्व बड़ा है
मज़हब के त्योहारों से ।
आसमान को भर दो
अपनी खुशियों के गुब्बारों से ।
मातृभूमि के लिए मरा जो
वह सच्चा बलिदानी है,
जो दुश्मन से हाथ मिलाए
खून नहीं वह पानी है,
भारत माँ से माफ़ी माँगें
कह दो अब ग़द्दारों से ।
अनगिन फूलों का उपवन यह
यहाँ किसी से बैर नहीं,
जो सरहद पर आँख दिखाए
समझो उसकी खैर नहीं,
काँप गया यूनान,सिकन्दर
पोरस की तलवारों से ।
फिर बिस्मिल,आज़ाद
भगत सिंह बन करके दिखलाना है,
वन्देमातरम, वन्देमातरम
वन्देमातरम गाना है,
फहरायेंगे वहाँ तिरंगा
कह दो चाँद सितारों से ।
चित्र-साभार गूगल |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-08-2019) को "आजादी का पावन पर्व" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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स्वतन्त्रता दिवस और रक्षाबन्धन की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आज़ादी का पर्व बड़ा है ...
ReplyDeleteसच में इसका मान सब से ज्यादा होना चाहिए ...
स्वतंत्रता के पर्व की बधाई ...