चित्र-गूगल से साभार |
एक गीत-खिला-खिला केसर का एक फूल लाना
खिला-खिला
केसर का
एक फूल लाना ।
ओ माली !
ज़न्नत को
नज़र से बचाना ।
शतदल की
गंध उठे
मीठी डल झील से,
पदमा सचदेव
लिखें
कविता तफ़सील से,
बंजारे
घाटी के
बाँसुरी बजाना ।
हाथ में
तिरंगा ले
नीलगगन उड़ना,
आतंकी
आँधी से
ले त्रिशूल लड़ना,
बर्फ़ानी बाबा
हर
आग से बचाना ।
ख़त्म हो
कुहासा अब
घाटी में धूप खिले,
मसजिद में
हो अज़ान
मन्दिर में दीप जले,
गुरद्वारे
जाकर
गुरुग्रन्थ को सजाना ।
चित्र-साभार गूगल |
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 14 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.8.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3428 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क