चित्र -साभार गू |
इस बदले
मौसम से जादा
फूलों की आँखों में जल है |
हदें पार
कर गयी सियासत
राजनीति में छल ही छल है |
अहि जा लिपटे
वन मयूर से
घोरी से मिल गए अघोरी ,
नैतिकता
ईमान खूटियों पर
संध्याएँ गाती लोरी ,
गंगा में
टेनरियों का जल
पूजाघर में गंगा जल है |
जंगल के
सीने पर आरी
क्या होगा इस नंदन वन का ,
दूषित समिधा
हवनकुंड में
उँगलियों में नकली मनका .
ग्रह गोचर शुभ
विजय भाव है
फिर माथे पर कैसे बल है |
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01.05.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2957 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन दादा साहब फाल्के और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-05-2018) को
ReplyDelete"रूप पुराना लगता है" (चर्चा अंक-2958)) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-05-2018) को
ReplyDelete"रूप पुराना लगता है" (चर्चा अंक-2958)) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-05-2018) को
ReplyDelete"रूप पुराना लगता है" (चर्चा अंक-2958)) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-05-2018) को
ReplyDelete"रूप पुराना लगता है" (चर्चा अंक-2958)) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
राजनीति में छल ही छल है....
ReplyDeleteखूब!
सच ! क्या होगा इस नंदन वन का ?
ReplyDeleteसमीचीन प्रश्न उठाती सुंदर कविता..
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