Sunday 29 April 2018

एक गीत -सूर्य तो उगता रहा हर दिन




चित्र -गूगल से साभार 


एक गीत -सूर्य तो उगता रहा हर दिन 

सूर्य तो 
उगता रहा हर दिन |
मगर कुछ 
वन फूल 
अब भी हैं अँधेरे में |

साँझ ढलते 
रक्त में डूबा 
नदी का जल ,
शोर -चीखों 
का कभी 
निकला न कोई हल ,
कहीं कुछ 
तो चूक है 
उजले सवेरे में |

अन्नदाता 
आपदा की 
जंग में हारे ,
प्यास से 
व्याकुल रहे 
कुछ भूख के मारे ,
इन्द्र प्रमुदित 
बिना जल के 
मेघ घेरे में |

ढूंढ़ता है 
रोज आदमखोर 
मृगनयनी ,
नर्मदा की 
चीख कब 
सुनती है उज्जयिनी ,
डबडबायी 
आंख 
जंगल के बसेरे में |
चित्र -गूगल से साभार 

1 comment:

  1. जैसे अंधेरा शाश्वत हो चला ....

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