चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -सूर्य तो उगता रहा हर दिन
सूर्य तो
उगता रहा हर दिन |
मगर कुछ
वन फूल
अब भी हैं अँधेरे में |
साँझ ढलते
रक्त में डूबा
नदी का जल ,
शोर -चीखों
का कभी
निकला न कोई हल ,
कहीं कुछ
तो चूक है
उजले सवेरे में |
अन्नदाता
आपदा की
जंग में हारे ,
प्यास से
व्याकुल रहे
कुछ भूख के मारे ,
इन्द्र प्रमुदित
बिना जल के
जैसे अंधेरा शाश्वत हो चला ....
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