चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -मानवता का गान रहेगा
जब तक
भारत देश रहेगा
मानवता का गान रहेगा |
विश्व गुरू
कहलाने लायक
केवल हिन्दुस्तान रहेगा |
यह भारत
दरवेशों का है
सन्तों और फ़कीरों का ,
मातृभूमि पर
प्राण निछावर
करने वाले वीरों का ,
भगतसिंह
आज़ाद तुम्हारी
गाथा पर अभिमान रहेगा |
ज्ञान- योग ,
अध्यात्म यहीं से
दुनिया वाले पाते हैं ,
हम यमुना
गंगा के तट पर
वंशी मधुर सुनाते हैं ,
सत्य -अहिंसा का
दुनिया में
युग -युग तक सम्मान रहेगा |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-08-2016) को "तिरंगे को सलामी" (चर्चा अंक-2435) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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आप सबको स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'