नयी सदी के नवगीत -तृतीय खण्ड सम्पादक -डॉ ० ओमप्रकाश सिंह |
नयी सदी के नवगीत -सम्पादक -डॉ ओमप्रकश सिंह
जिस तरह विश्व विद्यालयों में ,पत्र -पत्रिकाओं में आलोचनाओं में एक साजिश के अंतर्गत हिंदी गीत को खारिज़ कर दिया गया लगा कि हिंदी गीत अब खत्म हो जायेगा |हालाँकि हिंदी गद्य कविता अपनी पीठ थपथपाती है लेकिन न कोई नागार्जुन बन सका न ही निराला न कविता आम जन में स्वीकार्य है |हिंदी गीत और गीत कवि भी दूध के धुले नहीं हैं उनमें भी आत्मश्लाघा मंच की भड़ैती और कुछ की अतिशय लोकप्रियता भी उन्हें लिखने पढ़ने से दूर करती गयी |लेकिन हाल में कई साझा नवगीत के संकलन आये जो गीत को बचाने या मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयास में लगे रहे | तमाम असहमतियों और विसंगतियों के साथ मैं उनके प्रयासों की सराहना करता हूँ |आदरणीय निर्मल शुक्ल ,भाई नचिकेता और राधेश्याम बंधू का प्रयास हाल के दिनों में सराहनीय रहा |दिनेश सिंह जीवन पर्यन्त नवगीत के लिए समर्पित रहे |हाल में एक उल्लेखनीय प्रयास आदरणीय ओमप्रकाश सिंह जी ने नयी सदी के नवगीत निकालकर किया है |मुझे तीसरा अंक प्राप्त हुआ है जिसमें कुल पन्द्रह गीत कवि शामिल किये गए हैं |इन गीत कवियों के आत्मकथ्य भी प्रकाशित हैं | अनिल कुमार ,रमेश दत्त गौतम ,उदय शंकर सिंह गौतम ,उदय ,बृजनाथ श्रीवास्तव ,राघवेन्द्र तिवारी ,शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान रमेश चन्द्र पन्त ,मधु प्रसाद ,ओम धीरज ,जय चक्रवर्ती ,अजय पाठक ,जगदीश व्योम ,यशोधरा राठौर विनय मिश्र और मैं जयकृष्ण राय तुषार |
निसंदेह अग्रज ओमप्रकाश सिंह का यह कार्य हिंदी गीत के लिए संजीवनी का कार्य करेगा |हिंदी प्रकृति की हर लय में हर कंकण -कण में समाहित है यह मजदूर को स्त्री को चरवाहे को शोक में संयोग में वियोग में उल्लास में हर जगह मनुष्य का साथी है |इसकी मोहक छाया में हमारी संस्कृति सभ्यता हमारे संस्कार तीज त्यौहार सभी पुष्पित -पल्लवित होते हैं |यह गीत कभी नहीं मरेगा जब तक हम रहेंगे हमारी धरती रहेगी तब तक हमारे होठों पर गीत भी रहेंगे ये गीत कोमल भी होंगे कठोर भी होंगे प्रेम के भी होंगे रोटी के भी होंगे |मगर हर हाल में रहेंगे गीत ही |ओमप्रकाश सिंह जी को शतायु होने की कामना के साथ |
कवि /सम्पादक डॉ ० ओमप्रकाश सिंह |
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