चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -यह तो वही शहर है
यह तो
यह तो
वही शहर है
जिसमें गंगा बहती थी |
एक गुलाबी -
गंध हवा के
संग -संग बहती थी |
पन्त ,निराला
यहीं निराली
भाषा गढ़ते थे ,
इसकी
छाया में बच्चन
मधुशाला पढ़ते थे ,
एक महादेवी
कविता की
इसमें रहती थी |
अब इसमें
कुछ धूल भरे
मौसम ही आते हैं ,
छन्दहीन
विद्यापति
बनकर गीत सुनाते हैं ,
उर्वर थी
यह मिट्टी
इतनी कभी न परती थी |
संगम है
लेकिन धारा तो
मलिन हो गयी है ,
इसकी
लहरों की भाषा
कुछ कठिन हो गयी है ,
यही शहर है
जिसमें
शाम कहानी कहती थी |
मंच-
विदूषक अब
दरबारों के नवरत्न हुए ,
मंसबदारी
हासिल
करने के बस यत्न हुए ,
यही
शहर है जहाँ
कलम भी दुर्दिन सहती थी |
मंच-
विदूषक अब
दरबारों के नवरत्न हुए ,
मंसबदारी
हासिल
करने के बस यत्न हुए ,
यही
शहर है जहाँ
कलम भी दुर्दिन सहती थी |
अब इसमें
ReplyDeleteकुछ धूल भरे
मौसम ही आते हैं ,
छन्दहीन
विद्यापति
बनकर गीत सुनाते हैं ,
उर्वर थी
यह मिट्टी
इतनी कभी न परती थी |
यथार्थ को कहता सुंदर गीत
too good
ReplyDeleteबहुत सुन्दर......शहर और संस्कृति की बिगडती दशा पर अपना कोई जोर नहीं चलता...
ReplyDeleteसादर
अनु
बहुत खूबसूरती से आपने दर्द उकेरा है. बहुत प्यारी लगी यह कृति आपकी.
ReplyDeleteविडंबना यही
ReplyDeleteसमय के इस मिटटी की रंग भी बदल गए..... या हमने बदल डाले
ReplyDeleteसमय के साथ बदलते परिवेच को बाखूबी लिखा है ...
ReplyDeleteवाकई आज इलाहाबाद की यही व्यथा है ...बहुत सुन्दर..!!!
ReplyDeleteशहर को सही तरीके से याद किया है
ReplyDeleteइस गीत को अपना स्नेह देने हेतु आप सभी का आभार |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (10-04-2013) के (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
साहित्य खजाना पर भो होगी .आप अपनी अनमोल समीक्षा मंच पर जरूर कीजिये , स्वागत है आपका मंच पर
सूचनार्थ
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (10-04-2013) के "साहित्य खजाना" (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
बहुत सुंदर गीत sir
ReplyDeleteमेरे मंच पर आपका स्वागत है
गुज़ारिश : ''यादें याद आती हैं.....''
ReplyDeleteसुंदर,संगम नगरी का परिचय
nice !
ReplyDeletenice!
ReplyDeleteजीवन के सुख दुःख को व्यक्त करती
ReplyDeleteयथार्थ की जमीन से जुडी
विचारपूर्ण भावुक रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
शुभकामनायें
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
Rachana sunder hai.Thanks
ReplyDeleteउम्दा रचना ।।
ReplyDeleteउम्दा रचना ।।
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