कवि / कथाकार -अरुण आदित्य सम्पर्क -08392920836 |
सपने में शहर
[चंडीगढ़ में बिताए दिनों की स्मृति में ]
पत्थरों का बगीचा देखता है स्वप्न
कि वह सुख की झील बन जाए
झील का स्वप्न है कि नदी बन बहती रहे
नदी की लहरें सुर लहरियां बन जाना चाहती हैं
सुर लहरियां थिरकते पांवों में तब्दील हो जाना चाहती हैं
यहाँ जो लाल है
वह हरा हो जाने कि उम्मीद में है
जो हरा है ,वह चटख पीला हो जाना चाहता है
फूल के मन में है तितली बन जाने का ख़्वाब
तितली चाहती है हवा हो जाए
हवा सोचती है वह क्या हो जाए ?
इस शहर में जो है
वह जैसा है से कुछ और हो जाना चाहता है
पर क्या यह इसी शहर की बात है ?
अरुण आदित्य चंडीगढ़ प्रवास के समय |
परिचय -अरुण आदित्य समकालीन हिंदी कविता के सजग और संवेदनशील कवि है | कवि होने के साथ ही एक बड़े उपन्यासकार और एक ईमानदार पत्रकार भी हैं |अरुण जी का जीवन विविधताओं से भरा है |उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में 02-03-1965 को इनका जन्म हुआ था |लेकिन पत्रकारिता की शुरुआत इन्दौर से हुई ,काफी दिनों तक अमर उजाला के साहित्य सम्पादक भी रहे |इस समय इलाहाबाद में अमर उजाला के सम्पादक हैं |उत्तर वनवास इनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास है जिसकी तारीफ कई बार जाने -माने आलोचक नामवर सिंह भी कर चुके हैं |हमारे समय का यह महत्वपूर्ण उपन्यास है |इनका एक कविता संग्रह यह सब रोज नहीं होता प्रकाशित हो चुका है |स्वभाव से हंसमुख और विनम्र इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि की एक कविता हम आपके साथ साझा कर रहे हैं |आभार सहित |
उदीयमान -शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुंदर कविता....
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाए उम्दा प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 01/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteयहाँ जो लाल है
वह हरा हो जाने कि उम्मीद में है
जो हरा है ,वह चटख पीला हो जाना चाहता है
लाजवाब..
शुभकामनाएं
सादर
अनु
सुन्दर रचना, शुभकामनायें।
ReplyDeleteअच्छी लगी बेहद शांत मन से लिखी गयी सुन्दर कविता शुक्रिया...
ReplyDeleteसुन्दर व्यक्तित्व से अति सुन्दर परिचय ..शुभकामनाएं..
ReplyDeleteहर शहर की यही बात है
ReplyDeleteभाई अरुण आदित्य जी की इस कविता को पसंद करने के लिए आप सभी का बहुत -बहुत आभार |
ReplyDeleteसशक्त रचना, गहरे तक उतरती हुई
उत्कृष्ट प्रस्तुति
विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
सीधी सरल भाषा में अरुण की कविताएँ बहुत गहरे तक उतरती है।
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