चित्र -गूगल से साभार |
आरती में
और होंगे
थाल में उनको सजाओ |
मैं दिया
पगडंडियों का
मुझे पथ में ही जलाओ |
सिर्फ दीवाली
नहीं मैं
मुश्किलों में भी जला हूँ ,
रौशनी को
बाँटने में
मोम बनकर भी गला हूँ ,
तम न
जीतेगा हंसो
फिर रौशनी के गीत गाओ |
लौ हमारी
खेत में ,
खलिहान में फैली हुई है ,
यह
हवाओं में
नहीं बुझती ,नहीं मैली हुई है ,
धुआं भी
मेरा ,नयन की
ज्योति है काजल बनाओ |
गहन तम
में भी जगा हूँ
नींद में सोया नहीं हूँ ,
मैं गगन के
चंद्रमा की
दीप्ति में खोया नहीं हूँ ,
देखकर
रुकना न मुझको
मंजिलों के पास जाओ |
राह में
चलते बटोही की
उम्मीदें ,हौसला हूँ ,
दीप का
उत्सव जहाँ हो
रौशनी का काफिला हूँ ,
ओ सुहागन !
मुझे आंचल में
छिपाकर मत रिझाओ |
बहुत सुन्दर सामयिक उदभाव !
ReplyDeleteकल 11/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बढिया जानकारी , दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteTUSHAR JI , SUNDAR NAV GEET KE
ReplyDeleteLIYE AAPKO MUBAARAQ .
दीपक करने आ गए,धरती पर उजियार
ReplyDeleteआलोकित संसार है, भाग रहा अंधियार.
दीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,दीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
:-)
आदरणीय अग्रज अरविन्द मिश्र जी ,अग्रज प्राण शर्मा जी ,भाई यशवंत जी ,मनु त्यागी जी ,भाई धीरेन्द्र जी और रीना जी आप सभी का आभार |साथ ही ज्योति पर्व दीपावली की शुभकामनायें |
ReplyDeleteप्रकाश पर्व के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteराह में
ReplyDeleteचलते बटोही की
उम्मीदें ,हौसला हूँ ,
दीप का
उत्सव जहाँ हो
रौशनी का काफिला हूँ ,
ओ सुहागन !
मुझे आंचल में
छिपाकर मत रिझाओ |
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सुन्दर
आदरनीय भाई मनोज जी प्रदीप जी एवं सभी ब्लोगर भाइयों और बहनों एवं मित्रों को दीपावली की शुभकामनायें |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteराह कह दूँ एक की, जीवन सफल हो।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
आरती में और होंगे थाल में उनको सजाओ
मैं दिया पगडंडियों का मुझे पथ में ही जलाओ
सिर्फ दीवाली नहीं मैं मुश्किलों में भी जला हूँ ,
रौशनी को बाँटने में मोम बनकर भी गला हूँ ,
तम न जीतेगा हंसो फिर रौशनी के गीत गाओ
वाऽह ! क्या बात है !
सुंदर भाव ! सुंदर शब्द !
खूबसूरत गीत !
साधुवाद एवं आभार …
शुभकामनाओं सहित…
अति सुन्दर
ReplyDeleteHindi Sahitya