कोई पूजा में रहे कोई अजानों में रहे
हर कोई अपने इबादत के ठिकानों में रहे
अब फिजाओं में न दहशत हो, न चीखें, न लहू
अम्न का जलता दिया सबके मकानों में रहे
ऐ मेरे मुल्क मेरा ईमां बचाये रखना
कोई अफवाह की आवाज न कानों में रहे
मेरे अशआर मेरे मुल्क की पहचान बनें
कोई रहमान मेरे कौमी तरानें में रहे
बाज के पंजों न ही जाल, बहेलियों से डरे
ये परिन्दे तो हमेशा ही उड़ानों में रहे
हम तो मिट्टी के खिलौने थे गरीबों में रहे
चाभियों वाले बहुत ऊंचे घरानों में रहे
वो तो इक शेर था जंगल से खुले में आया
ये शिकारी तो हमेशा ही मचानों में रहे।
चित्र photos.merinews.com से साभार
हम तो मिट्टी के खिलौने थे गरीबों में रहे
ReplyDeleteचाभियों वाले बहुत ऊंचे घरानों में रहे
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है....वाह जनाब क्या कहने
हम तो मिट्टी के खिलौने थे गरीबों में रहे
ReplyDeleteचाभियों वाले बहुत ऊंचे घरानों में रहे
अच्छी पंक्तिया ........
पढ़े और बताये कि कैसा लगा :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
waah..bahut badhiya!
ReplyDeleteहम तो मिट्टी के खिलौने थे गरीबों में रहे
ReplyDeleteचाभियों वाले बहुत ऊंचे घरानों में रहे
क्या बात है?
अब फिजाओं में न दहशत हो, न चीखें, न लहू
ReplyDeleteअम्न का जलता दिया सबके मकानों में रहे
आमीन
बहुत बढ़िया रचना सर जी। बधाई हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
ReplyDeletevery good.thanks
ReplyDeleteहम तो मिट्टी के खिलौने थे गरीबों में रहे
ReplyDeleteचाभियों वाले बहुत ऊंचे घरानों में रहे
kaya baat kahi hai aapne...bahut khubsurat gajal..bahut-bahut badhai..
Sir bahut sundar ghazal badhai RANJANA SINGH AND SUDHA YADAV
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