Friday, 3 September 2010

दो प्रेम गीत

चित्र -गूगल से साभार 

एक 
जाने क्या होता
इन प्यार भरी बातों में?
रिश्ते बन जाते हैं
चन्द मुलाकातों में।
मौसम कोई हो
हम अनायास गाते हैं,
बंजारे होठ मधुर
बांसुरी बजाते हैं,
मेंहदी के रंग उभर आते हैं
हाथों में
खुली-खुली आंखों में
स्वप्न सगुन होते हैं,
हम मन के क्षितिजों पर
इन्द्रधनुष बोते हैं,
चन्द्रमा उगाते हम
अंधियारी रातों में।
सुधियों में हम तेरे
भूख प्यास भूले हैं
पतझर में भी जाने
क्यो पलाश फूले हैं
शहनाई गूंज रही
मंडपों कनातों में।




दो 
इस मौसम की
बात न पूछो
लोग हुए बेताल से।
भोर नहायी
हवा लौटती
पुरइन ओढ़े ताल से।
चप्पा चप्पा
सजा धजा है
संवरा निखरा है
जाफरान की
खुश्बू वाला
जूड ा बिखरा है
एक फूल
छू गया अचानक
आज गुलाबी गाल से ।
आंखें दौड
रही रेती में
पागल हिरनी सी,
मुस्कानों की
बात न पूछो
जादूगरनी सी,
मन का योगी
भटक गया है
फिर पूजा की थाल से
सबकी अपनी
अपनी जिद है
शर्तें हैं अपनी,
जितना पास
नदी के आये
प्यास बढ ी उतनी,
एक एक मछली
टकराती जानें
कितने जाल से।

16 comments:

  1. सबकी अपनी
    अपनी जिद है
    शर्तें हैं अपनी,
    जितना पास
    नदी के आये
    प्यास बढ ी उतनी,
    एक एक मछली
    टकराती जानें
    कितने जाल से।
    दिल की गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना , बधाई

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  2. भोर नहायी
    हवा लौटती
    पुरइन ओढ़े ताल से।

    wah wah Tushar ji, Ati sundar Ati sundar. Esi kavitao ki praticha rahegi.

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  3. क्यूँ जी! बड़े भोले हैं!
    नहीं जानते?
    ये इश्क-इश्क है, इश्क-इश्क!

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना तुषार जी यश मालवीय

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  5. तुषारजी सुन्दर गीत रचना के लिए बधाई रँजना सिँह

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  6. मेरा प्रथम गीत नया ज्ञानोदय के प्रेम विशेषाँक दो मेँ प्रकाशित हो चुका है गीत के साथ प्रकाशित चित्र मेरी कविता प्रेमी मकान मालकिन और उनके पति का है तथा दूसरा गीत दैनिक हिन्दुस्तान मेँ प्रकाशित हो चुका है।

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  7. bahut sundar geet tusharji badhai

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  8. बहुत बढिया रचना भाई साहब, बधाई हो

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  9. तुषारजी आपके दोनोँ गीत बहुत अच्छे हैँ।बधाई मधु सिँह

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  10. बहत ख़ूबसूरत गीत ! शानदार और लाजवाब !
    शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  11. behad sunder :)

    http://liberalflorence.blogspot.com/

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  12. गुस्ताख़ी मुआफ़!
    आपके गद्य के बावजूद मैं ग़ज़ल को तवज्जो दे रहा हूं।
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल है
    बधाई
    ये शेर चुने हैं जो ज्यादा पसन्द आए....
    सलीका बांस को बजने का जीवन भर नहीं होता।
    बिना होठों के वंशी का भी मीठा स्वर नहीं होता॥


    किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता


    परिंदे वो ही जा पाते हैं ऊंचे आसमानों तक।
    जिन्हें सूरज से जलने का तनिक भी डर नहीं होता॥

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  13. donoon geet behtareen hain. badhai ho.

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