शैलेन्द्र
कवि एवं प्रभारी, जनसत्ता कोलकाता संस्करण
कवि एवं प्रभारी, जनसत्ता कोलकाता संस्करण
हिन्दी कविता में शैलेन्द्र किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हिन्दी पत्रकारिता के पेशे से लम्बे समय से जुड़े शैलेन्द्र इस समय जनसत्ता के कोलकाता संस्करण के प्रभारी हैं। शैलेन्द्र जितने उत्कृष्ट कवि और पत्रकार हैं उतने ही सहज इंसान भी हैं। ५ अक्टूबर १९५६ को बलिया के मनियार नाम के कस्बे में शैलेन्द्र का जन्म हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर इस कवि की रचनाएं देश की समस्त प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। हम उनकी सुप्रसिद्ध पुस्तक ''अपने ही देश में'' से एक कविता अपने पाठकों के साथ साझा कर रहे हैं।
पता- २ किशोर पल्ली, बेलघरिया
कोलकाता - ७०००५६
सच के बारे में
आओ
थोड़ा छत पर टहल लें
मकान मालिक के
लौटने तक
चांदनी तले
थोडा हंस-खिलखिला लें
तारों की ओर नजर कर लें
कितना अच्छा लगता है
तुम्हारे हाथ में हाथ डालकर
थिरकता खुले आसमान के नीचे
अभी पड़ोस की इमारतें
ऊंचा उठने ही वाली है
और उस तरफ
बस रही बस्ती
ऊफ!
हर तरफ उठ रही हैं लाठियां
कमजोर जिस्मों को तलाशती
आओ
थोड़ा और करीब आओ
कदम-कदम पर हारते
सच के बारे में
थोडा बतिया लें।
कविता गहरा असर छोडती है.लिखने के लिए शैलेन्द्र जी और यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आप बधाई के पात्र हैं.
ReplyDeletebahut sundar rachna bhai shailendraki apne diya badhai
ReplyDeleteशैलेन्द्र जी से परिचय कराने के लिए बहुत बहुत साधुवाद। आशा है कि उनकी और भी रचनाएं आपके माध्यम से प्राप्त होने का सुयोग जल्द ही प्राप्त होगा।
ReplyDeleteBahut khubsurat rachna...aabhar
ReplyDeletethanks.
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