Saturday, 19 June 2010

एक गीत -लैपटाप में जंगल

एक गीत -लैपटॉप मे जंगल 
फूल खिले बाग हैं
तितलियां हैं
बच्चों की कलम पर
उंगलियां हैं!

पीठ लदे बस्तों में
दिन सारा बीता
लैपटाप में जंगल
देखती सुनीता
शीशे के ताल में
मछलियां हैं!

बात-बात पर छोटू
मम्मी से लड़ता
रिश्तों का मतलब भी
समझाना पड़ता
चश्मे के नम्बर में
कैद ये पुतलियां हैं!

वासन्ती भोर कहां
चंदा की रातें
खत्म हुई लोककथा
परियों की बातें
मोबाइल गेमों की कैद में
पसलियां हैं!

चित्र http://www.istockphoto.com/file_thumbview_approve/1497559/2/istockphoto_1497559-children-laptop.jpg से साभार

14 comments:

  1. मोबाइल गेमों की कैद में
    पसलियां हैं!

    अत्‍युत्‍तमं प्रस्‍तुति: । साधुवादार्हा कविता ।।

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  2. ...बहुत सुन्दर !!

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  3. Haan..sach hai! Mobile aur net me bachpan gum ho raha hai!

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  4. बहुत सुन्दर गीत..तुषार जी को बधाई.

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  5. वासन्ती भोर कहां
    चंदा की रातें
    खत्म हुई लोककथा
    परियों की बातें

    Aaj ka such apne samne rukh diya hai, Badhai aur dhanyavad.

    ReplyDelete
  6. वासन्ती भोर कहां
    चंदा की रातें
    खत्म हुई लोककथा
    परियों की बातें

    Aaj ka such apne samne rukh diya hai, Badhai aur dhanyavad.

    ReplyDelete
  7. Uncle Ji, Apka laptop to pyara laga. Mera laptop dekhne bhi aaiyega.

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  8. बहुत खूब चित्रण।
    ---------
    क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
    अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

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  9. samaya ke maram ko chhoone vali sunder rachana ke liye tushar ji aapko dhanyavad!

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  10. वासन्ती भोर कहां
    चंदा की रातें
    खत्म हुई लोककथा
    परियों की बातें
    मोबाइल गेमों की कैद में
    पसलियां हैं!

    vastvik chitran.prakriti se bahut dur aa gaye hain hum.

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  11. तुषार जी, कैसी है तबियत. आपकी नई रचनाओं का इंतजार.

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  12. जयकृष्ण राय तुषार जी
    नमस्कार !

    लैपटाप में जंगल अच्छा नवगीत है , बधाई !

    फूल खिले बाग हैं
    तितलियां हैं
    बच्चों की कलम पर
    उंगलियां हैं!


    बहुत ख़ूबसूरत !

    शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइए…

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  13. वासन्ती भोर कहां
    चंदा की रातें
    खत्म हुई लोककथा
    परियों की बातें
    मोबाइल गेमों की कैद में
    पसलियां हैं!

    अच्छा नवगीत ....

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