एक आस्था का गीत -
जहाँ सबसे सुन्दर रंग श्याम
जहाँ वंशी गूँजे हर शाम |
किशोरी जी का जो छवि धाम
जहाँ पर कृष्ण रूप में राम !
वही है वृन्दावन का धाम |
जहाँ भगवान भक्त के दास
सूर ,वल्लभ ,स्वामी हरिदास ,
जहाँ राजा से रंक का मेल
सुदामा कृष्ण का सुंदर खेल ,
जहाँ यमुना का क्रीड़ाधाम
वही है वृन्दावन का धाम |
जहाँ बस प्रेम है द्वेष न राग
जहाँ हर मौसम होली ,फाग ,
जहाँ फूलों में इत्र सुवास
जहाँ उद्धव जी का परिहास ,
जहाँ संतो का सुख हरिनाम
वही है वृन्दावन का धाम |
जहाँ गीता का अमृत पान
गोपियों का नर्तन -मधु गान ,
जहाँ मिट जाते दुःख -संताप
पुण्य का उदय ,अस्त हो पाप ,
है जिसके वश में माया ,काम
वही है वृंदावन का धाम |
जहाँ गिरि गोवर्धन का मान
इन्द्र का टूटा था अभिमान ,
जहाँ गायों का पालनहार
जहाँ भक्तों के मोक्ष का द्वार
जहाँ सबसे सुन्दर रंग श्याम
वही है वृन्दावन का धाम |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
जहाँ बस प्रेम है द्वेष न राग
ReplyDeleteजहाँ हर मौसम होली ,फाग
जहाँ संतों को मोक्ष ,विराग
जहाँ धूनी में भक्ति की आग ,
देवता करते जिसे प्रणाम
वही है वृन्दावन का धाम |
वृन्दावंधाम की महिमा के क्या कहने ! सुंदर रचना तुषार जी |राधे राधे --
आपकी ईश्वर भक्ति को प्रणाम |आपका हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर प्रणाम |आपका हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर गीत।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार आदरणीय
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 21 सितंबर 2020) को 'दीन-ईमान के चोंचले मत करो' (चर्चा अंक-3831) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
आपका हार्दिक आभार भाई रवीन्द्र जी
Deleteजहाँ बस प्रेम है द्वेष न राग
ReplyDeleteजहाँ हर मौसम होली ,फाग
जहाँ संतों को मोक्ष ,विराग
जहाँ धूनी में भक्ति की आग ,
देवता करते जिसे प्रणाम
वही है वृन्दावन का धाम |... बहुत सुंदर रचना ... अद्भु्त
आपका हृदय से आभार
Deleteजहाँ बस प्रेम है द्वेष न राग
ReplyDeleteजहाँ हर मौसम होली ,फाग
जहाँ संतों को मोक्ष ,विराग
जहाँ धूनी में भक्ति की आग ,
देवता करते जिसे प्रणाम
वही है वृन्दावन का धाम |
भक्तिरस में सराबोर बहुत ही भावपूर्ण सृजन,सादर नमन सर
आपका हृदय से आभार
Deleteजहाँ गिरि गोवर्धन का मान
ReplyDeleteइन्द्र का टूटा था अभिमान ,
जहाँ गायों का पालनहार
जहाँ काशी ,मथुरा ,हरिद्वार ,
जहाँ सबसे सुन्दर रंग श्याम
वही है वृन्दावन का धाम |
बहुत ही सुन्दर सरस भक्ति गीत...
वाह!!!
हार्दिक आभार आपका
Deleteजहाँ गीता का अमृत पान
ReplyDeleteगोपियों मधु नर्तन -गान ,
जहाँ मिट जाते दुःख -संताप
पुण्य का उदय ,अस्त हो पाप ,
सीखते प्रेम जहाँ रति -काम
वहीँ है वृंदावन का धाम ---
कोमल भावनाओं युक्त सुंदर रचना !!!
हार्दिक बधाई जयकृष्ण राय तुषार जी!!!
सादर प्रणाम |आपका हार्दिक आभार |
Deleteसंदर गीत
ReplyDeleteडॉ0 वर्षा सिंह जी आपका हार्दिक आभार |
Deletehttps://satishrohatgipoetry.blogspot.com/2020/10/blog-post_26.html
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
ReplyDeleteस्वरांजलि satishrohatgipoetry
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा।🙏