Friday, 18 September 2020

एक भक्ति गीत -समस्त देवियों शक्तिपीठों को समर्पित

 


एक भक्ति गीत -देवी गीत 

जय माँ विंध्यवासिनी ,काली 
अष्टभुजा महरानी |
गंगा मैया द्वार तुम्हारे 
बहती  हे कल्यानी  |

पर्वत ,खोह ,नदी ,सागर में 
तेरी ज्वाला जलती ,
ज्ञान ,मन्त्र या तंत्र नहीं
माँ सिर्फ़ भक्ति से मिलती ,
कालिदास बन गया 
तुम्हारी महिमा से अज्ञानी |

तुम्ही हो मंशा, वैष्णो देवी 
तुम्हीं हो मैहर वाली ,
सती ,भवानी ,दुर्गा माता 
कलकत्ते की काली ,
कामरूप की कामख्या माँ 
अष्टसिद्धि की दानी |

सीता ,लक्ष्मी ,पार्वती तुम 
अन्नपूर्णा कहलाती ,
गीत, कला ,संगीत सुकोमल 
ब्रह्माणी सिखलाती ,
जिस पर हुई तुम्हारी महिमा  
परमहंस वह ज्ञानी |

शंख ,चक्र और गदा 
शीश पर स्वर्णिम मुकुट सुहाए  ,
चरण तुम्हारे चढ़ा भक्ति का 
फूल नहीं मुरझाए ,
शैलसुता तुम विश्वस्वरूपा 
मैया हो वरदानी |


कवि -जयकृष्ण राय तुषार 


चित्र -साभार गूगल माँ विंध्यवासिनी देवी ,माँ कामख्या देवी 

18 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण भक्ति गीत तुषार जी। माँ के सभी रूपों का वर्णन बहुत हृदय स्पर्शी है। हार्दिक शुभकामनाएं और आभार🙏🙏

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    1. आपका हृदय से आभार | विंध्यवासिनी माँ आपका कल्याण करें |

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२०-०९-२०२०) को 'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-३०३८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  4. -बहुत सुंदर रचना।जय माँ काली।

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  5. भक्ति भाव से पूर्ण पावन सृजन।

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    1. मन की वीणा जी आपका हार्दिक आभार

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  6. जय माँ विंध्यवासिनी ! बहुत सुंदर भक्तिमयी रचना।

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  7. बहुत ही सुन्दर... भावपूर्ण भक्तिगीत।

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