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चित्र -गूगल से साभार |
एक लोकभाषा गीत -देश में अब हमेशा अजोरिया रहै
ई चनरमा रहै ,
ना अन्हरिया रहै |
देश में हमरे
हर दिन अजोरिया रहै |
सबके घर से अँधेरा
मिटावै के बा ,
सबके देहरी रंगोली
सजावै के बा ,
धूप खुलि के हंसै
ना बदरिया रहै |
झील में फूल सुन्दर
कँवल कै खिलै ,
सब ठठाके हंसै
जब केहू से मिलै
हर सुहागन क
चुनरी लहरिया रहै |
वीर सीमा प देशवा
क रक्षा करैं ,
गाँव कै लोग खेती से
अन -धन भरैं ,
गुड़ खियावत अतिथि के
ओसरिया रहै |
पर्व -उत्सव से नाता
न टूटै कभी ,
हाथ पकड़ीं त
फिर -फिर न छूटै कभी ,
ई दीवाली रहै
ई झलरिया रहै |