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चित्र /पेंटिंग्स -गूगल से साभार |
एक गीत -
औरतें होंगी तभी तो यह सदी होगी
औरतें होंगी
तभी तो
यह सदी होगी |
हिमशिखर
होंगे तभी
उजली नदी होगी |
ये गगन के
मेघ जितना
जल भरे होंगे ,
इस धरा के
आवरण
उतने हरे होंगे ,
जब कभी
मरुथल हँसेगा
त्रासदी होगी |
मौन सुर
केवल रुदन के
गीत गाते हैं ,
अब सड़क को
हादसों के
दृश्य भाते हैं ,
निर्वसन
होती सदी
यह द्रौपदी होगी |
कलमुंहे दिन
बेटियों के लिए
कब मंगल हुए ,
सभ्यता
किस अर्थ की
यदि ये शहर जंगल हुए ,
फूल की
हर शाख
काँटों से लदी होगी |
किसी
सीता को
अगर आंसू बहेगा ,
हमें भी
इतिहास यह
रावण कहेगा ,
घन तिमिर
के शून्य में
क्या कौमुदी होगी |
मौन सुर
केवल रुदन के
गीत गाते हैं ,
अब सड़क को
हादसों के
दृश्य भाते हैं ,
निर्वसन
होती सदी
यह द्रौपदी होगी |
कलमुंहे दिन
बेटियों के लिए
कब मंगल हुए ,
सभ्यता
किस अर्थ की
यदि ये शहर जंगल हुए ,
फूल की
हर शाख
काँटों से लदी होगी |
किसी
सीता को
अगर आंसू बहेगा ,
हमें भी
इतिहास यह
रावण कहेगा ,
घन तिमिर
के शून्य में
क्या कौमुदी होगी |