चित्र -गूगल से साभार |
फिर गुलाबी
धूप -तीखे
मोड़ पर मिलने लगी है |
धूप -तीखे
मोड़ पर मिलने लगी है |
यह
जरा सी बात पूरे
जरा सी बात पूरे
शहर को खलने लगी है |
रेशमी
जूड़े बिखर कर
गाल पर सोने लगे हैं ,
गुनगुने
जल एड़ियों को
रगड़कर धोने लगे हैं ,
बिना माचिस
के प्रणय की
आग फिर जलने लगी है |
खेत में
पीताम्बरा सरसों
तितलियों को बुलाये ,
फूल पर
बैठा हुआ भौंरा
रफ़ी के गीत गाये ,
सुबह -
उठकर, हलद -
चन्दन देह पर मलने लगी है |
हवा में
हर फूल की
खुशबू इतर सी लग रही है ,
मिलन में
बाधा अबोली
खिलखिलाकर जग रही है ,
विवश होकर
डायरी पर
फिर कलम चलने लगी है |
कुछ हुआ है
ख़्वाब दिन में
ही हमें आने लगे हैं ,
पेड़ पर
बैठे परिन्दे
जोर से गाने लगे हैं ,
सुरमई
सी शाम
बहुत ही सुन्दर और प्यारी रचना..
ReplyDeleteबिना माचिस के प्रणय की आग फिर जलने लगी है
वाह ! वाऽह !
बहुत ख़ूबसूरत !
सुंदर प्रविष्टि …
बहुत-बहुत बधाई !
हार्दिक शुभकामनाएं !
बहुत ही सुंदर गीत
ReplyDeletebahut hi sundar geet likha hai jai kishan ji...vasabt ritu ne aapke mijaaz ko bhi shringaar ras se sarabor kar diya hai ...
ReplyDeleteआदरणीय भाई प्रवीण जी ,भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी डॉ 0 मोनिका शर्मा जी और शालिनी जी आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया |
ReplyDeleteबहुत प्यारा बासन्ती गीत
ReplyDeleteकुछ हुआ है
ReplyDeleteख़्वाब दिन में
ही हमें आने लगे हैं ,
पेड़ पर
बैठे परिन्दे
जोर से गाने लगे हैं ,bahut badhiya.....
बहुत खूब ... बिना माचिस ये प्रणय की आग ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
बड़ी ही मीठी सी , गुनगुनी सी कविता..
ReplyDeleteसुंदर गीत के लिए बधाई ..
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कविता,आभार आपका.
ReplyDeleteवसंत का आगमन ऐसा ही होता है ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत !
GEET NE AANANDIT KAR DIYAA HAI .
ReplyDeleteआदरणीय संगीता जी ,निशा जी अमृता जी ,वाणी गीत जी ,भाई दिगम्बर नासवा जी अग्रज प्राण शर्मा जी भाई राजेन्द्र कुमार और भाई नादिर खान जी आप सभी का हार्दिक आभार |
ReplyDeleteसुरमई
ReplyDeleteसी शाम
अब कुछ देर से ढलने लगी है
बहुत सुंदर रचना ....
शुभकामनायें ....
ज़रूर बसंत ने आकर ...घूंघट के पट खोल दिए हैं ....
ReplyDeleteनीरस सी सृष्टि में ....रंग प्रणय के घोल दिए हैं
बसंत का जादू कुछ ऐसा ही है .......प्रेम और रस में पगा हुआ
ReplyDeleteप्र्कृती का बहुत खुबसुरत चित्रण। लाजवाब रचना
ReplyDeleteवसंत का आगमन, खुशबू आने लगी है... बहुत शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteआप सभी का बहुत -बहुत आभार |आपकी सुन्दर टिप्पणियां हमारे लिए अनमोल हैं |
ReplyDeleteबिना माचिस
ReplyDeleteके प्रणय की
आग फिर जलने लगी है |
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Bahut dino bad fir ek paramparik geet padhane ko mila hai
बिना माचिस
ReplyDeleteके प्रणय की
आग फिर जलने लगी है |
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Bahut dino bad fir ek paramparik geet padhane ko mila hai