Thursday, 29 May 2025

ग़ज़ल संग्रह -सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है

 

ग़ज़ल संग्रह

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 

पुस्तक -सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है 

प्रकाशक -लोकभारती इलाहाबाद (प्रयागराज )

पेपरबैक मूल्य -250 रूपये 

https://www.amazon.in/dp/934822932X


Saturday, 10 May 2025

एक युद्धगान -अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन

 

श्री कृष्ण अर्जुन

अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन 


केशव की गीता 
कहती है 
युग के जैसा व्यवहार करो.
अब धर्मयुद्ध 
छोड़ो अर्जुन 
दुश्मन पर प्रबल प्रहार करो.

उपदेश
नियम, नैतिकता के
ग्रंथों में शोभा देते हैं,
दानव तो
अबला, संतो के
भी प्राण हरण कर लेते हैं,
मायावी
असुरों के सम्मुख
निज माया का विस्तार करो.


सन 71 में दयावान
बन हमने
जिसको माफ़ किया
उसने भारत माँ
के विरुद्ध
षड़यंत्र और अपराध किया,
अबकी
निर्णायक युद्ध करो
हर पापी का संहार करो.

सूखी चिनाब में
रेत उड़े
आज़ाद बलूचिस्तान बने,
फिर चन्द्रगुप्त
राणाप्रताप
पोरस का हिंदुस्तान बने,
आतंक मिटा कर
दुनिया से
मानवता का उद्धार करो.

जब युद्धभूमि में
जाना हो
प्रभु परशुराम को याद करो,
जिसकी कुदृष्टि
हो भारत पर
उसको समूल बर्बाद करो
सपना अखण्ड
भारत माँ का
अब तो वीरों साकार करो.

जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल

प्रभु परशुराम



Thursday, 8 May 2025

एक देशगान -मोदी है रुद्रावतार

 

भारत माता

एक देशगान 

माननीय प्रधानमंत्री जी


संकट में था 

सिंदूर 

सनातन, महाकाल.

हिमशिखर 

पिघलने लगे 

सिंधु में है उबाल.


तन गयी 

भृकुटि मोदी जी 

हैं रुद्रावतार,

फिर कुपित 

राम की सेना 

लंका पर प्रहार,

निकलो 

वीरों त्रिशूल के 

संग लेकर मशाल.


काफ़िर 

मत कहना 

मूर्ख सुदर्शन चक्र देख,

विषपाई 

शिव की 

भृकुटि हो गयी वक्र देख,

हुंकार

हमारी सुन 

भारत माता निहाल.


अब भजन 

नहीं मंदिर में 

फूंको पांचजन्य,

इस महाप्रलय 

से सजग रहें 

अब शत्रु अन्य,

भर जाय 

रक्त से दुश्मन का 

हर झील, ताल 


वन्देमातरम. जय हिन्द 

भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी और चाणक्य 
माननीय गृहमंत्री जी


Sunday, 4 May 2025

एक गीत -गुलमोहर खिलते हुए

 

गुलमोहर चित्र साभार गूगल

एक गीत -गुलमोहर खिलते हुए 


ग्रीष्म के 
तपते हुए दिन 
गुलमोहर खिलते हुए.
आइये 
कुछ मुस्कुरा लें 
सफ़र में चलते हुए.

पर्वतों की
घाटियों में
एक सुन्दर झील है,
सोचिए मत
ज़िन्दगी की
राह कितने मील है,
पाँव तो
चलते रहेंगे
धूप में जलते हुए.

माथ पर
बिंदी सजाए
हँस रहा श्रृंगार दरपन,
झर गए
कुछ फूल बासी
खिल रहे कुछ नए उपवन,
स्वप्न भूले
याद आए
आँख को मलते हुए.

चित्र कितने
रंग कितने
खुशबुओं का खत लिए,
प्रेम के संग
विरह वाले
गीत लिखकर हम जिए,
कुछ परिंदे
गा रहे हैं
शाख पर हिलते हुए.

दीप आँचल में
सजाए
कौन चंदन मुख छिपाए,
ढोलकी की
थाप पर
ये साँझ मंगल गीत गाए,
माँ रफूगर
खुली रिश्तों 
की सिवन सिलते हुए.

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


Saturday, 3 May 2025

एक देशगान -गर्जना करोगे कब तक वीरों आसमान में

 

भारतीय वायुसेना

भारत माता

एक देशगान -गर्जना करोगे कब तक वीरों आसमान में 


गर्जना करोगे 

कब तक 

वीरों आसमान में.

आतंकी दुश्मन 

बैठा है 

अब भी गुमान में.


दुश्मन के 

सीने पर 

चढ़कर हुंकार भरो,

राक्षस 

वध करना है 

नृसिंह अवतार धरो,

जयकार

तिरंगे की हो

इस दुनिया जहान में.


पृथ्वी, त्रिशूल,

ब्रम्होस 

अग्नि ज्वाला निकलो,

मेवाड़

महाराणा के

ले भाला निकलो,

रावलपिंडी को

बदलो

जलते श्मशान में.


अब मौन करो

भारत विरुद्ध

आवाज़ो को,

दुश्मन पर

छोड़ो गरुड़

भयंकर बाजों को,

अब ज़हर

न उगले कोई भी

दुश्मन अज़ान में.


कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


ग़ज़ल संग्रह भेंट -श्री प्रवीण पटेल सांसद फूलपुर

 ग़ज़ल संग्रह सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है योग दिवस पर माननीय सांसद फूलपुर आदरणीय श्री प्रवीण पटेल जी एवं माननीय विधायक फूलपुर श्री दी...