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चित्र -गूगल से साभार |
एक गीत -यह वसंत भी प्रिये !
तुम्हारे होठों का अनुवाद है
तुमसे ही
कविता में लय है
जीवन में संवाद है |
यह वसंत भी
प्रिये ! तुम्हारे
होठों का अनुवाद है |
तुम फूलों के
रंग ,खुशबुओं में
कवियों के स्वप्नलोक में ,
लोककथाओं
जनश्रुतियों में
प्रेमग्रंथ में कठिन श्लोक में ,
जलतरंग पर
खिले कमल सी
भ्रमरों का अनुनाद है |
तुम्हें परखने
और निरखने में
सूखी कलमों की स्याही ,
कालिदास ने
लिखा अनुपमा
हम तो एक अकिंचन राही
तेरा हँसना
और रूठना
और रूठना