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| चित्र -गूगल से साभार | 
मित्रों आप सभी को सपरिवार होली की शुभकामनाएँ -इस बार चाह कर भी कोई गीत नहीं लिख सका ,डायरी में एक बहुत पुराना गीत मिला ,वही पोस्ट कर रहा हूँ |गाँव जा रहा हूँ अब कुछ दिन अंतर्जाल से दूर रहूँगा |आशा है आप अपना स्नेह बनाए रक्खेंगे |आभार सहित -
हवा उड़ाती 
घर -घर रंग -
गुलाल कि होली आई है |
लाज -शरम से 
हुई दिशाएं लाल 
कि होली   आई है |
साँस -साँस में 
गीत समाये ,
नैन इशारे 
हवा बुलाये ,
नदिया गाये फाग 
कबीरा ताल
कि   होली आई है |
मौसम में 
आवारापन है ,
खिली धूप में 
क्वारापन है ,
रंगी अबीरों से 
सूनी चौपाल 
कि होली आई है |
दरपन से भी 
हंसी -ठिठोली ,
शहद हो गयी 
सबकी बोली ,
इन्द्रधनुष लगता 
गोरी का गाल 
कि होली आई है |
गली -गली 
गोकुल -बरसाने ,
बच्चे -बूढ़े 
और सयाने ,
फेंक रहे 
मछली के ऊपर जाल 
कि   होली आई है |

