Sunday 11 August 2019

एक गीत -आज़ादी का अर्थ नहीं है



विश्व नेता -माननीय मोदी जी 

कश्मीर  पर भारत सरकार द्वारा लिया गया निर्णय बहुत ही सराहनीय है, लेकिन विपक्ष के कुछ सांसद अपने ही देश के ख़िलाफ़ बयान देकर राष्ट्र की अस्मिता से खिलवाड़ ही नहीं सही मायने में राष्ट्रद्रोह कर रहे हैं । सरकार के साहसिक निर्णय के साथ पूरा देश है ।
एक गीत -आज़ादी का अर्थ नहीं है --
भारत नहीं डरा धमकी से
नहीं डरा हथियारों से ।
वक्त सही है निपटेगा अब
देश, सभी ग़द्दारों से ।

जिसे तिरंगे से नफ़रत हो
देश छोड़कर जाये ,
आज़ादी का अर्थ नहीं
दुश्मन से हाथ मिलाये,
मुक्त हुई डल झील की
कश्ती अब क़ातिल पतवारों से ।

जयचन्दों के पुरखों की
यह भारत अब जागीर नहीं,
सरहद पर ब्रह्मोस खड़ा है
लकड़ी की शमशीर नहीं,
आतंकी साम्रज्य मिटेंगे
अभिनन्दन के वारों से ।

संसद में भी कैसे-कैसे
चेहरे चुनकर आते हैं,
रावलपिंडी और करांची
की प्रशस्ति बस गाते हैं,
इनको मिलती है ख़ुराक
कुछ टी0वी0 कुछ अख़बारों से
जय हिंद जय भारत

चित्र -गूगल से साभार 

5 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-08-2019) को "बने ये दुनिया सबसे प्यारी " (चर्चा अंक- 3425) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  2. व्वाहहहह..
    सादर नमन..

    ReplyDelete
  3. आपकी यह प्रस्तुति 11 अगस्त 2019 को सांध्य दैनिक (05:30 PM)

    'मुखरित मौन'

    (http://mannkepaankhi.blogspot.com) में शामिल की गयी है।

    चर्चा हेतु आप सादर आमंत्रित हैं।

    ReplyDelete
  4. वाह आतंकी साम्राज्य मिटेंगे
    अभिनन्दन के वारों से
    बेहतरीन

    ReplyDelete

  5. जयचन्दों के पुरखों की
    यह भारत अब जागीर नहीं,
    सरहद पर ब्रह्मोस खड़ा है
    लकड़ी की शमशीर नहीं,
    आतंकी साम्रज्य मिटेंगे
    अभिनन्दन के वारों से ।वाहहह बेहतरीन रचना

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...