एक गीत
एक गीत -मुखिया अपनी चुप्पी तोड़ो
भारत का राष्ट्रीय ध्वज |
एक गीत -मुखिया अपनी चुप्पी तोड़ो
मुखिया
अपनी चुप्पी तोड़ो |
अब दुश्मन की
बाँह मरोड़ो |
हिम्मत बढ़ती
पाक- चीन की ,
तुम्हें नहीं
चिंता जमीन की ,
भारत माँ के
पुत्र करोड़ो |
रघुपति राघव
अभी न गाओ .
संकट में है
देश बचाओ ,
आंधी -तूफानों
को मोड़ो |
हिन्दू ,मुस्लिम ,
सिक्खों जागो ,
देश एकता में
फिर तागो ,
हर भारतवासी
को जोड़ो |
उठो -उठो सिंहों
ललकारो ,
अजगर को
अब पंजे मारो ,
सिर को कुचलो
सुंदर आव्हान ...... हम सब चेतें
ReplyDeleteदेशवासियों का आवाहन करती कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर. इसी की जरूरत है.
ReplyDeleteसुन्दर आह्वान...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2013) के "चमकती थी ये आँखें" (चर्चा मंच-1233) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shandaar aahwahan ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आह्वान !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
lateast post मैं कौन हूँ ?
latest post परम्परा
बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई !
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