चित्र -गूगल से साभार |
बहुत दिनों से
गायब कोई पंछी
ताल नहाने आया |
चोंच लड़ाकर
गीत सुनाकर
फिर -फिर हमें रिझाने आया |
बरसों से
सूखी टहनी पर
फूल खिले ,लौटी हरियाली ,
ये उदास
सुबहें फिर खनकीं
लगी पहनने झुमके ,बाली ,
शायद मुझसे
ही मिलना था
ही मिलना था
लेकिन किसी बहाने आया |
धूल फांकती
खुली खिड़कियाँ
नये -नये कैलेण्डर आये ,
देवदास के
पागल मन को
केवल पारो की छवि भाये ,
होठों में
उँगलियाँ फंसाकर
सीटी मौन बजाने आया |
सर्द हुए
रिश्तों में खुशबू लौटी
फिर गरमाहट आई ,
अलबम खुले
और चित्रों को
दबे पांव की आहट भाई ,
कोई पथराई
आँखों को
फिर से ख़्वाब दिखाने आया |
दुःख तो
बस तेरे हिस्से का
सबको साथी गीत सुनाना ,
कोरे पन्नों
पर लिख देना
प्यार -मोहब्बत का अफ़साना ,
मैं तो रूठ गया था
ख़ुद से
मुझको कौन मनाने आया |
दुःख तो
बस तेरे हिस्से का
सबको साथी गीत सुनाना ,
कोरे पन्नों
पर लिख देना
प्यार -मोहब्बत का अफ़साना ,
मैं तो रूठ गया था
ख़ुद से
मुझको कौन मनाने आया |
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteमनभावन गीत....
सादर
अनु
अति सुन्दर गीत ..
ReplyDeleteबहुत बढिया मन भावन गीत , बधाई जी,,
ReplyDeleterecent post हमको रखवालो ने लूटा
बहुत सुन्दर भावपूर्ण गीत...मन को छू जाते भाव..उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteलगता प्रकृति मोहती मुझसे।
ReplyDeleteदुःख तो
ReplyDeleteबस तेरे हिस्से का
सबको साथी गीत सुनाना ,
कोरे पन्नों
पर लिख देना
प्यार -मोहब्बत का अफ़साना ,
मैं तो रूठ गया था
ख़ुद से
मुझको कौन मनाने आया |
बहुत खूब।।
सुंदर प्रस्तुति।।।
बहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteआपके गीत बहुत भावपूर्ण होते हैं.. प्रकृति के रंगों ने इसे चित्रात्मक बना दिया है। बधाई एक अच्छी रचना के लिए।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत ...
ReplyDeleteभाई कैलाश शर्मा जी ,प्रवीन पाण्डेय जी ,भदौरिया जी और अनुज अंकुर जी आप सभी का बहुत -बहुत आभार |
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी ,अनु जी ,अमृता जी वंदना जी दीपिका जी आप सभी का ह्रदय से आभार |
saral va sunder-***
ReplyDeleteबहुत उजास भरा !
ReplyDeletebahut hi sundar!
ReplyDeleteआदरणीय अरविन्द मिश्र जी ,पारुल जी और टिक्कू जी आप सभी का दिल से आभार |
ReplyDeleteमित्रों!
ReplyDelete13 दिसम्बर से 16 दिसम्बर तक देहरादून में प्रवास पर हूँ!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-12-2012) के चर्चा मंच (भारत बहुत महान) पर भी होगी!
सूचनार्थ!
''मै तो रूठ गया था खुद से मुझको कौन मनाने आया ' बहुत सुन्दर वा 'भावपूर्ण गीत .पढ़कर मन आनन्दित हो गया
ReplyDeleteसर्द हुए रिश्तों में फिर से....
ReplyDeleteवाह!इस अंश की पंक्तियाँ मन को छू गयीं .
बहुत खूबसूरत गीत.
वाह...बहुत खूबसूरत है गीत..
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