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चित्र --साभार गूगल |
एक ताज़ा गीत -सुख नहीं उधार लो
धूल जमे
रिश्तों को
फूल से बुहार लो |
बिखर गए
जुड़े सा
इन्हें भी संवार लो |
अफवाहों के
बादल
मौसम का दोष नहीं ,
नीड़ों से
दूर उड़े
पंछी को होश नहीं ,
अनचाहे
पेड़ों से
इन्हें भी उतार लो |
दरपन भी
हँसता है
हंसी को बिखेर दो ,
मौन
गुनगुनाएगा
वंशी को टेर दो ,
दुःख अपना
मत बांटो