tag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post6899793174131742585..comments2024-03-29T17:17:16.883+05:30Comments on छान्दसिक अनुगायन: एक गज़ल -ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई जयकृष्ण राय तुषारhttp://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-65617467380173249872012-09-04T10:53:35.209+05:302012-09-04T10:53:35.209+05:30आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया |आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-58705618811259819532012-09-03T09:14:24.052+05:302012-09-03T09:14:24.052+05:30एक और बेहतरीन गज़ल। ऐसा कम ही हो पाता है कि गज़ल क...एक और बेहतरीन गज़ल। ऐसा कम ही हो पाता है कि गज़ल का हर शेर पढ़कर दिल बाग-बाग हो जाय।..बहुत बधाई।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-7508014213000770512012-09-02T23:07:06.609+05:302012-09-02T23:07:06.609+05:30खूबसूरत ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकारेंखूबसूरत ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकारें‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-91962670605653746892012-09-02T18:57:16.160+05:302012-09-02T18:57:16.160+05:30ज़िन्दगी के बीच से आपने भावनाओं के कई रूप समेट-सहे...ज़िन्दगी के बीच से आपने भावनाओं के कई रूप समेट-सहेज कर नायाब शे’र पिरो लाए हैं। मुझे यह शे’र बड़ा मन को छुने वाला लगा --<br />कुतुबमीनार पे चढ़कर वो हमको भूल गए <br />हम उनके वास्ते सीढ़ी के पायदान रहे मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-55083499800370552782012-09-02T10:53:45.280+05:302012-09-02T10:53:45.280+05:30बहुत बढ़िया...
बेहतरीन गजल...
:-)बहुत बढ़िया...<br />बेहतरीन गजल...<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-37791680244688090532012-09-02T08:17:43.313+05:302012-09-02T08:17:43.313+05:30बढ़िया ग़ज़ल है.सभी शेर लाजवाब.बढ़िया ग़ज़ल है.सभी शेर लाजवाब.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-45570448757555932282012-09-02T06:18:55.636+05:302012-09-02T06:18:55.636+05:30आप सभी का बहुत -बहुत आभार |आपकी तारीफ़ से हमारा मन...आप सभी का बहुत -बहुत आभार |आपकी तारीफ़ से हमारा मनोबल बढ़ता है |फिर हम कुछ और नया कहने या रचने की कोशिश करते हैं |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-85678381888276347212012-09-02T00:50:11.287+05:302012-09-02T00:50:11.287+05:30हम अपनी जंग सरहदों पे कभी हारे नहीं
घरों की जंग म...हम अपनी जंग सरहदों पे कभी हारे नहीं <br />घरों की जंग में अक्सर लहूलुहान रहे <br />lajavab mantmugdh hoon itne gahre bhav ki kya kahun<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-67348821952655239292012-09-02T00:20:48.676+05:302012-09-02T00:20:48.676+05:30वाह.... बेहतरीन पंक्तियाँ ....वाह.... बेहतरीन पंक्तियाँ .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-40804390621070895742012-09-01T23:39:00.059+05:302012-09-01T23:39:00.059+05:30पहला ही शेर ज़बरदस्त ... तीखा प्रहार हुक्मरानों पर...पहला ही शेर ज़बरदस्त ... तीखा प्रहार हुक्मरानों पर ... बहुत सुंदर गज़लसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-56810979220882342092012-09-01T22:13:32.689+05:302012-09-01T22:13:32.689+05:30बहुत ही सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति..बहुत ही सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-47374551455071539782012-09-01T22:12:26.436+05:302012-09-01T22:12:26.436+05:30वाह....
बेहतरीन गज़ल...
पतंगें रख के उड़ाना ही उनको...वाह....<br />बेहतरीन गज़ल...<br />पतंगें रख के उड़ाना ही उनको भूल गया <br />मेरे शहर में धुंए वाले आसमान रहे ..<br />लाजवाब शेर..<br /><br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-75966103414874809762012-09-01T21:47:34.965+05:302012-09-01T21:47:34.965+05:30बेहद शानदार गज़ल... हरेक शेर अपनाप में नायब है ......बेहद शानदार गज़ल... हरेक शेर अपनाप में नायब है .... पहली बार आपको पढ़ा ...और एक बार में ही आपकी लेखनी के मुरीद हो गए.shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-42677916769531844132012-09-01T19:17:30.518+05:302012-09-01T19:17:30.518+05:30एक से बढ़ कर एक शेर वाह वाह वाह वाह वाह ...
भाई...एक से बढ़ कर एक शेर वाह वाह वाह वाह वाह ...<br /><br />भाई जी ,बहुत खूबसूरत बन पडी है मुकम्मल ग़ज़ल ही ..आपकी लेखनी में बला की खूबसूरती है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com