tag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post3618922903652331616..comments2024-03-29T17:17:16.883+05:30Comments on छान्दसिक अनुगायन: मेरी दो ग़ज़लेंजयकृष्ण राय तुषारhttp://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-63878275640149130742011-08-15T00:06:04.808+05:302011-08-15T00:06:04.808+05:30जो अपने तन पे धुँधले रंग के कपड़े पहनता है
जमाने ...जो अपने तन पे धुँधले रंग के कपड़े पहनता है <br />जमाने को वही रंगों भरी तस्वीर देता है <br /><br />अन्नदाता के लिए हमारे पास ना वक्त है ना पैसा...इंटरटेनमेंट के लिए तो साला कुछ भी करेगा...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-75470217456695658112011-08-14T17:23:32.169+05:302011-08-14T17:23:32.169+05:30पत्रा में लग्न खूब थे पंडित भी कम न थे
फिर भी कुँ...पत्रा में लग्न खूब थे पंडित भी कम न थे <br />फिर भी कुँवारी रह गयी बेटी किसान की ...<br /><br />बहुत गहरे जज्बातों को उतारा है इस गज़ल में आपने ... दोनों ही ग़ज़लें एक से बढ़ कर एक ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-1747230670836827152011-08-14T10:06:13.675+05:302011-08-14T10:06:13.675+05:30दोनों ही काव्य रचनाएं लाजवाब हैं...
रक्षाबंधन एवं...दोनों ही काव्य रचनाएं लाजवाब हैं...<br /><br />रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-52249545861517590302011-08-13T18:07:28.653+05:302011-08-13T18:07:28.653+05:30बेहतरीन पंक्तियाँ।बेहतरीन पंक्तियाँ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-58604466786094511412011-08-13T10:25:24.651+05:302011-08-13T10:25:24.651+05:30पत्रा में लग्न खूब थे पंडित भी कम न थे
फिर भी कुँ...पत्रा में लग्न खूब थे पंडित भी कम न थे <br />फिर भी कुँवारी रह गयी बेटी किसान की <br /><br />बच्चों की दौड़ कम हुई आंगन की मेड़ से <br />शहतीरें बाँट दी गयीं गिरते मकान की <br /><br />बेरोजगार बेटे की आवाज़ मर गयी <br />सपने जला रही है, बहू खानदान की <br /><br />ग़ज़ल में आपकी गहरी संवेदना, अनुभव और अंदाज़े बयां खुलकर प्रकट हुए हैं। इसकी शायरी सलीक़ेदार, प्रखर और प्रभावी है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-51418547998712411392011-08-13T10:23:24.859+05:302011-08-13T10:23:24.859+05:30सूखे में कहीं ,बाढ़ में फसलें थी धान की
फिर भी अम...सूखे में कहीं ,बाढ़ में फसलें थी धान की <br />फिर भी अमीन लाए हैं नोटिस लगान की <br /><br />अभी तो पहला ही शे’र पढ़ा है। और रुक दाद न दिया तो अदब के ख़िलाफ़ होगा।<br /><br />आपकी ग़ज़लों में बहुत ही गहब भाव होते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-39589762709815384222011-08-13T08:26:27.039+05:302011-08-13T08:26:27.039+05:30विभिन्न भावों का समावेश है दोनों गजलों में दोनों ...विभिन्न भावों का समावेश है दोनों गजलों में दोनों गजलें सम्यक भावों का जीवंत उदाहरण हैं ..बहुत खूबकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-2886741769548927012011-08-13T00:18:12.030+05:302011-08-13T00:18:12.030+05:30दोनों गज़लें अलग अलग रंग लिए ...बहुत अच्छीदोनों गज़लें अलग अलग रंग लिए ...बहुत अच्छीसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-52333261381725872412011-08-12T23:14:21.653+05:302011-08-12T23:14:21.653+05:30फिज़ा में रंग कितने हैं वो कैसे जान पायेगा
खुद उस...फिज़ा में रंग कितने हैं वो कैसे जान पायेगा <br />खुद उसका आइना उसको गलत तस्वीर देता है <br />Wah!<br />Dono gazalen behtareen hain!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-909555566787565362011-08-12T21:55:10.855+05:302011-08-12T21:55:10.855+05:30दोनों ही गज़लें लाजवाब.... बहुत बढ़ियादोनों ही गज़लें लाजवाब.... बहुत बढ़िया डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-157526244490440130.post-1511060116899754262011-08-12T20:28:50.708+05:302011-08-12T20:28:50.708+05:30पत्रा में लग्न खूब थे पंडित भी कम न थे
फिर भी कुँ...पत्रा में लग्न खूब थे पंडित भी कम न थे <br />फिर भी कुँवारी रह गयी बेटी किसान की <br /><br />....लाजवाब. दोनों ही गज़लें बहुत खुबसूरत..भाव मन को छू जाते हैं.Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com